Monday, December 23, 2024

भीतर प्यास हो तभी मिलेंगे परमात्मा !

यदि हमें प्यास लगी है तो पानी उपलब्ध हो जाता है। प्यास होगी तभी पानी के मूल्य का पता चलता है। प्यास जितनी अधिक होगी, गहरी होगी,पानी उतना ही मूल्यवान प्रतीत होगा।

प्यास नहीं तो पानी है अथवा नहीं है, इसकी चिंता नहीं की जाती। ऐसे ही परमात्मा को पाने की प्यास हो तो परमात्मा मिल ही जाता है। उसे पानी की प्यास नहीं होगी तो दांये, बांये, भीतर, बाहर मौजूद परमात्मा भी व्यर्थ हो जायेगा।

मानव जगत में परमात्मा और मोक्ष सर्वाधिक चर्चित शब्द हैं। मंदिरों में जाइये, गुरूद्वारों में जाइये, दूसरे धर्मस्थलों पर जाइये सब स्थानों पर परमात्मा और मोक्ष की चर्चाएं ही सुनाई पड़ेंगी, पर सब स्थानों पर घूमकर भी परमात्मा को नहीं खोजा जा सकता।

जो लोग मालाएं फेरते हैं वे लोग परमात्मा-परमात्मा पुकारते हैं, उनके हृदय में भी आप झाकेंगे तो पायेंगे कि वहां मात्र ऊपरी-ऊपरी मन से परमात्मा का जाप चल रहा है। जाप भी चल रहे हैं दुनियादारी भी चल रही है। परमात्मा की पुकार केवल होंठों से उठ रही है।

हृदय के भीतर परमात्मा को पाने की कोई प्यास नहीं जगी है, परन्तु ‘वह’ तो तभी मिलेगा, जब भीतर सच्ची प्यास जगी होगी अन्यथा ऐसे ही माला फेरते-फेरते जीवन बीत जायेगा।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय