मुजफ्फरनगर। छह साल की भावपूर्ण लंबी प्रतीक्षा के सकारात्मक फल के रूप में शुक्रवार को आखिरकार गुरु कृपा से वो घड़ी आ ही गई, जबकि तपोनिधि आचार्य श्री 1०8 नयन सागर जी मुनिराज का मुजफ्फरनगर की पावन धरा पर मंगल प्रवेश हुआ। वो सवेरे सैंकड़ों श्रावक श्राविकाओं के साथ रामपुर तिराहा से विहार करते हुए शिव मूर्ति पहुंचे और यहां जैन समाज के भक्तजनों ने जयकारा गुरूदेव का, गुंजायमान करते हुए बैंड बाजों के साथ उनका भव्य और शानदार स्वागत किया।
इसके पश्चात गुरूवर आचार्य नयन सागर जी मुनिराज सैंकड़ों भक्तों और बैंडबाजा टोलियों के साथ शिव मूर्ति से विहार करते हुए मुनीम कालोनी स्थित श्री दिगम्बर पंचायती जैन मंदिर पहुंचे, यहां पर भी सैंकड़ों श्रावक श्राविकाओं ने गुरू महाराज की आरती करते हुए उनका स्वागत और अभिनंदन किया। इस दौरान जैन समाज में अपार उत्साह और उल्लास नजर आ रहा था। यहां पर गुरू नयन सागर जी महाराज ने भक्तों को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। उन्होंने प्रवचन में कहा कि जीवन में सभी कुछ अच्छा हो, ऐसा मुमकिन नहीं है, धूप और छाया यही जीवन का सत्य है। जीवन में अच्छा और बुरा सभी हमारे कर्मों का फल है। इसलिए किसी दूसरे को दोषारोपण ठीक नहीं। इसके लिए उन्होंने भगवान पाश्र्वनाथ के जीवन दर्शन को भी भक्तों के सामने रखा और दुख में कभी भी विचलित नहीं होने के लिए प्रेरित किया।
जागृतिकारी संत आचार्य श्री 1०8 नयन सागर जी महाराज छह साल के लंबे अंतराल के बाद शुक्रवार को मुजफ्फरनगर की पावन धरा पर भक्तों का कल्याण करने के लिए पहुंचे। इन छह सालों में उन्होंने उपाध्याय से आचार्य की उपलब्धि को हासिल किया और यह उपलब्धि उनको पवित्र गिरनार में रहकर अपने गुरूवर की सेवा करने के दौरान मिली। इस सेवाकाल में वो ऐसे सौभाग्यशाली शिष्य रहे, जिनको अपने गुरू की जीवन के अंत समय में पूरी सेवा का आशीर्वाद मिला।
उन्होंने 16 जून को श्री दिगम्बर जैन मंदिर निर्मलायतन नानौता सहारनपुर से जनपद मुजफ्फरनगर के लिए विहार किया था। पांच दिन की करीब 6० किलोमीटर की यात्रा करते हुए तपोनिधि नयन सागर महाराज का शुक्रवार को श्री दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर मुनीम कालोनी में मंगल प्रवेश हुआ, तो जैन समाज में आस्था और भक्ति का समन्दर उमड़ा रहा। यहां पर भक्तजनों ने उनकी आरती करते हुए आशीर्वाद लिया और श्रीफल भेंटकर गुरू की स्तुति की। गुरूवर नयन सागर के मुजफ्फरनगर में मंगल प्रवेश के लिए मुजफ्फरनगर के साथ ही जनपद सहारनपुर, शामली, बडौत, बागपत, दिल्ली तथा उत्तराखंड से भी जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे थे। इन अतिथियों का मुनीम कालोनी मंदिर कमेटी की ओर से तिलक करने के साथ ही पटका और माला पहनाकर स्वागत किया गया।
श्रावक श्राविकाओं को आशीर्वाद प्रदान करने के बाद तपोनिधि जागृतिकारी संत आचार्य नयन सागर ने अपने मंगल प्रवचन में कहा कि लोग सुखों की केवल कल्पना और इच्छा करते हैं, सुखों के बारे में चर्चा करते है और रात दिन सपने बुनते रहते हैं, लेकिन सुख प्राप्ति का कोई भी उपाय हमारे पास है ही नहीं। रोग कितना भी बड़ा हो, यदि उसका इलाज नहीं है तो वो मनुष्य का विनाश करता है। आचार्य कार्तिकेय ने मानव शरीर के रोगों की कल्पना की है। संकट या रोग आना कोई बड़ी बात नहीं है, उसका उपाय मिलना ही बड़ा संघर्ष और बात है। कष्ट सभी के ऊपर आते हैं, ये कष्ट इसलिए ही बड़े लगते हैं कि मानव जीवन में इसकी कल्पना ही नहीं करता है, क्योंकि मानव केवल सुख के बारे में ही सोचता है। गुरूवर ने कहा कि दो हाथ शरीर में है। जो दायें और बायें में विभाजित हैं। इसमें हम शुभ और अशुभ तलाशते हैं। कुदरत ने जो दिया है, उसमें अच्छा और बुरा सोचते हैं। शुभ और अशुभ कुदरत ने नहीं दिया तो ये मानव ने कल्पना की है। आंख फडफडाई तो इसमें कुछ गलत फल ढूंढने लगते हैं। हम कुदरत की प्रकृति के विपरीत चलने की कोशिश करते हैं, सुख भी उसका है और दुख भी उसी का है। जीवन में आने वाले अंधेरों के जिम्मेदार मानव ही हैं। जीवन हमें बोलने के साथ ही चुप रहने के लिए भी मिला है। शांत होकर सुनने से ही जीवन का रास्ता मिलता है। मानव ने मान लिया, अच्छा हो रहा है तो मैंने किया और बुरा हो रहा है तो किसी और ने कर दिया है। जबकि हकीकत ये है कि अच्छा और बुरा हमें हमारे कर्म से ही मिलता है। उन्होंने सभी को अच्छा कर्म करने के लिए प्रेरित किया। श्री 1००8 शांतिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर मुनीम कालोनी में प्रतिदिन सुबह आठ बजे गुरूवर का मांगलिक प्रवचन होगा और शाम को गुरू भक्ति का कार्यक्रम होगा है। इसमें ज्यादा से ज्यादा भक्तों को आमंत्रित किया गया है।
कार्यक्रम के दौरान संयोजक डॉ. जयकुमार जैन, मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सुभाष चन्द जैन, महामंत्री जितेन्द्र जैन टोनी, उपाध्यक्ष प्रेमचन्द जैन, संजय जैन, कोषाध्यक्ष अखिलेश जैन एडवोकेट, उप मंत्री सुखमाल जैन, विभोर जैन, संरक्षक चन्द्रमोहन जैन, मनोज जैन एलजी, सुनील जैन नावला, रविन्द्र जैन वहलना, सुदेश जैन, पुनीत जैन, सुनील जैन, अभिषेक जैन, विकल्प जैन, विपिन जैन, विकास जैन, सुनील जैन सलोनी सहित सैंकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे। मंच संचालन रविन्द्र जैन और सुनील जैन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।