Tuesday, April 30, 2024

सरकार को संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पारित कराना चाहिए: अधीर रंजन

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नयी दिल्ली- लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को सदन में कहा कि सरकार को संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित कराना चाहिए।

श्री चौधरी ने संसद के विशेष सत्र के पहले दिन संसद के पुराने भवन में सदन की कार्यवाही के अंतिम दिन अपने उद्बोधन में कहा कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने का प्रयास किया था। सरकार को अब इस विधेयक को पारित कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सरकार उनकी मांग मानेगी।

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उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मांग करते हुए कहा कि विपक्ष को अपनी बात कहने और जनहित के मुद्दे सरकार के समक्ष लाने का पर्याप्त अवसर देने के लिए विपक्षी दलों के लिए सप्ताह में पूरा एक दिन निर्धारित कर देना चाहिए।

श्री चौधरी ने कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के देश के विकास के लिए किये गये योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने माडर्न इंडिया की नींव रखी। पंडित नेहरू ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन जैसे संस्थानों काे स्थापित किया जिसकी बदौलत आज चंद्रयान-3 को चांद पर उतारने में देश कामयाब हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण करके देश के आर्थिक विकास में महती योगदान दिया। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देश को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इतना समृद्ध किया कि आज डिजिटल इंडिया की बातें की जा पा रही हैं।

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह काम अधिक करते थे, बातें कम करते थे। उन्होंने वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में देश अर्थव्यवस्था को बखूबी संभाला।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन काल में पंचायतीराज विधेयक लाकर ग्राम पंचायतों को मजबूती प्रदान की गयी। सूचना का अधिकार कानून बनाकर आम आदमी को जानकारी हासिल करने का अधिकार दिया गया। शिक्षा का अधिकार कानून बनाकर पांच से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा की व्यवस्था की गयी। राष्ट्रीय महात्मा गांधी राेजगार गारंटी कानून बनाकर गरीबों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान किये गये। खाद्य सुरक्षा कानून लाकर गरीबों को सस्ती दरों पर खाद्यान्न की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी।

श्री चौधरी ने कहा , “ हमें महत्वपूर्ण बातों को भूलना नहीं चाहिए , हम पुरानी चीजों को भूलेंगे नहीं। हम जब वसुदेव कुटुम्बकम कहते हैं तो हमें सबकी चिंता करनी चाहिए। ”

चर्चा में हिस्सा लेते हुए वाईएसआर कांग्रेस के श्रीनिवासल्लु रेड्डी ने कहा कि इस संसद भवन से उनकी भावनाएं जुड़ी हैं। उन्होंने इस संदद भवन में कई ऐतिहासिक फैसले होते देखे हैं। इसी भवन में उन्होंने आंध्र प्रदेश के विभाजन को देखा है लेकिन सरकार ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का जो वादा किया था उसे पूरा नहीं किया। उनका कहना था कि सांसद बनना सौभाग्य की बात है क्योंकि देश के 140 करोड़ लोगों में से सिर्फ 543 लोग ही चुनकर इस सदन में आते हैं। उन्होंने कहा कि संसद महत्वपूर्ण है और इस सदन के माध्यम से राज्यों को उनका पूरा हक देकर उन्हें शक्तिशालि बनाया जाना चाहिए।

जनता दल (यूनाइटेड) के गिरधारी यादव ने पुराने संसद भवन में अंतिम दिन की कार्यवाही के दौरान भवन को प्रणाम किया और कहा कि इस भवन में बहुत अच्छे तरीके से लोकसभा की कार्यवाही का संचालन हुआ है। इसी भवन में संविधान लिखा गया है और देश को नयी दिशा मिली है। उनका कहना था कि लोकतंत्र लोक-लिहाज से चलता है और लोकतंत्र को चलाने के लिए यह लिहाज बना रहना चाहिए। संविधान से खिलवाड नहीं किया जाना चाहिए लेकिन आज बराबर संसद के नियमों की धज्जियां उड़ रही है। उन्होंने इसी संसद भवन में तीन-तीन लोगों अटल बिहारी वाजपेयी, देवगौडा़ तथा इंद्रकुमार गुजराज साहब को प्रधानमंत्री बनते देखा है। बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने कहा कि उनके लिए यह भावनात्मक लगाव का क्षण है। नये भवन में जाएंगे तो नयी उम्मीद साथ में जुड़ी होगी और वहां नयी तकनीकी तथा नयी व्यवस्था से भवन सजा होगा। नया भवन समय की जरूरत थी इसलिए अमृतकाल में इस पुराने भवन की यादों का स्मरण करते हुए इस भवन को शीष नवाता हूं।

उन्होंने कहा कि देश को भाषा, संप्रदाय या जाति नहीं जोड़ती है। अगर ऐसा होता तो सारे मुस्लिम देश एक हो जाते और आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना दो राज्य नहीं बनते। छत्तीसगढ-मध्य प्रदेश या उत्तर प्रदेश और बिहार का विभाजन नहीं होता। राष्ट्रीय चिन्ह हमको जोड़ते हैं। दूसरी बात समय के अनुसार बदलाव भी जरूरी है। उनका कहना था कि 1951 में पहला संविधान संशोधन किया गया। इसका मतलब संविधाल लागू होने के सालभर बाद ही देश को बदलाव करने की आवश्यकता हुई तो किया गया। कमियों को दूर करने का काम इस संविधान संशोधन के माध्यम से हुआ है।

जद (यू) नेता ने एक देश एक चुनाव का भी समर्थन किया और कहा कि लोकतंत्र में लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए हर साल चुनाव कराने ठीक नहीं है। एक बार पांच साल के लिए जनादेश लीजिए और जनता की भावनाओं के अनुकूल काम करते रहना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि उनकी पार्टी बीजू जनता दल एक मात्र पार्टी है आसन के सामने नहीं आती है और इस व्यवस्था का पालन किया जाना चाहिए।

भारतीय जनता पार्टी के राकेश सिंह ने कहा कि देश एवं दुनिया की अनेक घटनाएं इतिहास में दर्ज होती हैं और उनमें से कुछ घटनाओं से इतिहास भी गौरवान्वित होता है। आज यह घटना भी उनमें से एक है। इसके कारक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। उन्होंने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन में दौरान भारत मंडपम में ‘लोकतंत्र की जननी भारत’ प्रदर्शनी लगायी गयी और पहली बार ये मान्यता दुनिया के सामने प्रभावी ढंग से लायी गयी कि भारत ही लोकतंत्र की जननी है।

श्री सिंह ने कहा कि ऋग्वेद, अथर्ववेद के साथ नवबौद्ध साहित्य में गणतंत्र शब्द आया है। सिकंदर के हमले के 20 वर्ष बाद यूनानी राजदूत मेगास्थनीज़ ने भारत की लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का बड़ा प्रभावी चित्रण किया है। श्री सिंह ने संविधान सभा से लेकर अब तक की संसदीय यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि लाेकतंत्र का प्रवाह केवल एक बार जून 1975 से मार्च 1977 के बीच बाधित हुआ।

उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को उद्धृत करते हुए कहा कि हमारे रास्ते में जो बुराइयां हैं, उन्हें मिटाने में कोई ढिलायी नहीं बरतेंगे और प्रतिज्ञापूर्वक उन बुराइयों को मिटाएंगे। उन्होंने सवाल किया कि क्या देश से भ्रष्टाचार सबसे बड़ी सामाजिक नैतिक बुराई नहीं है। क्या यह अच्छा नहीं होता कि कांग्रेस पार्टी भ्रष्टाचार मिटाने के प्रयासों की सराहना करती जिसके एक नेता ने कहा था कि हम एक रुपया भेजते हैं तो नीचे 15 पैसे पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि गरीबी विवशता और मजबूरी है। लोगों को भूखा या गरीब रख कर कब तक वोट लेंगे। मोदी सरकार ने उन गरीबों के घर नियमित बिजली कनेक्शन दिया जिसके घर दिवाली में दीये तक नहीं जलते थे।

उन्होंने कहा कि सदन ने इतिहास की गलतियों को सुधारने का भी काम किया है। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने इसी सदन में जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 एवं 35 ए को हटाने का काम किया। आज जम्मू कश्मीर विकास की नयी इबारत लिख रहा है। 1400 काूननों को समाप्त किया गया जिनकी उपयोगिता खत्म हो गयी थी। उन्होंने रचनात्मक विपक्ष की भूमिका पर भी विचार व्यक्त किये।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सुप्रिया सुले ने कहा कि भारत की पहचान विविधता में एकता है। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण को लेकर श्री राकेश सिंह के कटाक्ष का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस ने देश को पहली महिला प्रधानमंत्री, पहली महिला राष्ट्रपति, पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष दी थी। उन्होंने लोकसभा के सत्रों एवं कार्यदिवसों की संख्या बढ़ाने की भी पैरवी की।

उन्होंने नयी संसद में मीडिया को प्रतिबंधित करने का भी मुद्दा उठाया औँर कहा कि प्राइवेट मेंबर बिल को भी सशक्त बनाया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्होंने चुनौती दी कि राकांपा के किसी भी केस की पूरी जांच करायी जाये और भ्रष्टाचार मिले तो कार्रवाई की जाए।

बहुजन समाज पार्टी के गिरीश चंद्र ने कहा कि देश की आजादी के 75 साल हो गये, लेकिन दलित आज भी अपने अधिकारों से वंचित है। राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत पूरे देश में दलितों का शोषण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि नये संसद भवन में सरकार सोच में बदलाव का संकल्प लेगी ताकि दलितों का शोषण खत्म किया जा सके।

समाजवादी पार्टी के एस टी हसन ने कहा कि पहली बार आज प्रधानमंत्री से सकारात्मक बातें सुनने को मिली है जो अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि वह पहली बार जब सदन में आये तो उन्हें यहां बापू का गुलदस्ता दिखे। उन्होंने कहा कि देेश को आजादी दिलाने के लिए जहां एक थाली में लोगों ने खाना खाया आज उसे खत्म किया जा रहा है। यह देश प्यार, मोहब्बत और भाईचारे से आगे बढ़ेगा। हमें प्यार भाईचारे सद्भाव और वसुधैव कुटुंबकम की राह पह चलने की जरूरत है।

कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि संसद का सत्र 120 से 130 दिन तक चलाने के लिए नये संसद भवन में कानून बनाने की मांग करते हुए कहा कि दलबदल कानून पर भी दोबारा से संज्ञान लेना चाहिए। हाल के दिनों में जिस प्रकार की घटनाएं सामने आई है उसमें दलबदल कानून पर विचार करने करने की आवश्यकता है।

श्री तिवारी ने कहा कि आजादी के बाद संविधान बनने के बाद सभी को समानता का अधिकार दिया गया। भारत के संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद 17 का निर्माण कर देश से छुआछूत को खत्म करने का काम किया। इसी प्रकार अनुच्छेद 18 में राजा महाराजा की परंपरा को खत्म किया। बेगार प्रथा जैसी कुरीतियों को खत्म कर सभी को समानता का अधिकार दिया गया।

भाजपा की लॉकेट चटर्जी ने कहा कि पिछले 75 साल से भारत ने निरंतर विकास की नई ऊचाइयों को छू रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में जी-20 की सफलता ने देश को गौरांवित किया है। दुनिया के लोग अब भारत आयेंगे तो सपेरों का खेल नहीं देखेंगे बल्कि विज्ञान और तकनीक को देखेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश शक्तिशाली और वैभवशाली बन रहा है।

बीआरएस के नामा नागेश्वर राव ने नये संसद भवन महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की मांग करते हुए कहा कि सदन को अधिक दिनों तक चलाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा देश के 75 साल के इतिहास में 150 दिन सदन चलता था जो कम होते होते 56 दिन हो गये इसलिए इसके बारे में भी विचार करने की जरूरत है।

नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी ने कहा कि इसी सभा में जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा सर्वसम्मति से दिया गया थे, लेकिन पांच अगस्त 2019 को राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया जो संविधान की भावना के विरूद्ध है।

अकाली दल बादल की हरसिमरत कौर ने कहा कि पंजाबी छोटा समुदाय है लेकिन इस समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में देश के लिए बलिदान दिया है। उनका कहना था कि सिखों के नवें गुरु ने हिंद की चादर से देश को असाधारण मान बढाया। उन्होंने 1984 का जिक्र किया और कहा कि वह तब 18 साल की थी जब देश के सामने लोकतंत्र की हत्या हुई थी। उन्होंने कहा कि इस भवन में संसद की कार्यवाही समाप्त करने से पहले सबको एकमत होकर 1984 की नृशंत हत्या को लेकर प्रस्ताव पारित करना चाहिए।

तेलुगु देशम पार्टी के जयदेव गल्ला ने कहा कि आंध्र प्रदेश के असंख्य लोगों ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान की है और कई संसदविदों ने लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए काम किया है और मैं उन सबको अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। हमारे राज्य से कई महान संसदविद हुए हैं और उन सबके प्रति मैं अपना सम्मान व्यक्त करता हूं। हमारे देश की विविधता ने हम सबको आगे बढाने में अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को आत्मनिर्भर बनाया है और उज्ज्वल जैसी योनाएं देश को दी है।

अपना दल की अनुप्रिया सिंह पटेल ने कहा कि पुराने संसद भवन का यह हाल कई ऐतिहासिक क्षेणों को समेटे हुए है और इसको लेकर सबके मन में तरह तरह की यादें होंगी। सबके मन में नये संसद भवन को लेकर बहुत उत्साह और उमंगे हैं। हमारी संसद शैशव काल में है लेकिन इस उम्र में भी हमारी संसद ने कई महत्वपूर्ण पड़ाव हासिल किए हैं। इसी संसद भवन में देश ने चंद्रमा पर पहुंचते देखा है और देश को परमाणु शक्ति बनते हुए भी देखा है। पूर्ववर्ती सरकारों में सामाजिक न्याय की अनदेखी होती देखी है और जान बूझकर स्थितियों को दबाकर पूर्ववर्ती सरकार ने रखा लेकिन आज मोदी सरकार कई महत्वपूर्ण फैसले ले रही है।

द्रमुक के ए राजा ने अपने वक्तव्य में जैसे ही यह कहा कि मणिपुर के बारे मे यूरोपीय संघ की संसद में एक प्रस्ताव पारित किया गया जबकि हमारी संसद में चर्चा नहीं हुई, इस पर सत्ता पक्ष ने ऐतराज किया। भाजपा के निशिकांत दुबे ने विदेशी संसद की कार्यवाही का उल्लेख करना नियम विरुद्ध बताया। इस पर दोनों पक्षों के बीच कहासुनी हुई। बाद में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आज की चर्चा में विषय रखा और चर्चा को नयी ऊंचाई पर ले गये हैं। सदन में 75 वर्ष की स्मृतियां उपलब्धियां जुड़ी हैं। सभी दलों ने सम्मान प्रकट किया है लेकिन ओछी राजनीतिक बढ़त के लिए सदन की गरिमा को गिराया जा रहा है। हमारे देश के अंदरूनी मामलों पर विदेशी संसद में कुछ भी हो, हम उसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं। इसी गुलामी की मानसिकता को हम खत्म करना चाहते हैं। देश विरोधी ताकतों के सामने हमें आपस में बंटे हुए नहीं, बल्कि एकजुट दिखना चाहिए।

इसके बाद भाजपा के अरुण साव और ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लमीन के असदुद्दीन ओवैसी ने अपने विचार रखे। श्री ओवैसी ने अपने भाषण में संसद की 15 नाकामियां गिनायीं जिनमें देश के विभिन्न स्थानों पर हुए दंगों को रोकने में विफलता और टाडा, पोटा, यूएपीए जैसे आतंकवाद निरोधक कानून बनाना शामिल है। उन्होंने संसद में मुसलमानों के प्रतिनिधित्व में कमी का मुद्दा उठाया और कहा कि बहुसंख्यक धर्म एवं दौलत के सहारे सत्ता चल रही है।

शिवसेना (उद्धव गुट) के अरविंद सांवत ने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को उद्धृत करते हुए कहा कि छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता। उन्होंने गठबंधन को लेकर भाजपा पर कटाक्ष किये और कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ने की बात करते हैं और भ्रष्टाचारियों को सम्मान देते हैं और मंत्री बनाते हैं।

निर्दलीय नवनीत राणा, हनुमान बेनीवाल, एआईडीएफ के बदरुद्दीन अजमल, सिक्किम क्रांति मोर्चा के इंद्र हांग सुब्बा, द्रमुक के थोल तिरुमावलम, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। श्री प्रेमचंद्रन ने कहा कि भारत की संसदीय परंपराओं की नींव पं जवाहर लाल नेहरू और प्रथम लोकसभा अध्यक्ष जी वी मावलंकर ने डाली और साबित किया है कि संसदीय लोकतांत्रिक शासन प्रणाली ही सर्वश्रेष्ठ शासन प्रणाली है।

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