नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को लोकसभा में कहा कि कांग्रेस कमेटियों की इच्छा का पालन किया जाता तो सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते। सदन में “भारतीय संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा” पर दो दिन हुई चर्चा का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ‘संविधान’ शब्द बोलने की भी हकदार नहीं है।
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वे कभी अपनी पार्टी के संविधान को स्वीकार नहीं करते, कभी अपनी पार्टी के संविधान का सम्मान नहीं किया है क्योंकि उनमें ऐसा करने के लिए जरूरी लोकतांत्रिक भावना का अभाव है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के एक परिवार की रगों में “अधिनायकवाद और वंशवादी राजनीति” भरी हुई है। कांग्रेस पार्टी अपने संविधान का भी पालन नहीं करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के समय अंतरिम सरकार के गठन के लिए कांग्रेस की 12 प्रदेश कांग्रेस कमेटियों ने सरदार वल्लभभाई पटेल को प्रधानमंत्री बनने के पक्ष में सहमति जताई थी। उस हिसाब से सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनना चाहिए था, लेकिन नेहरू के पक्ष में इसे नजरअंदाज कर दिया गया।
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नेहरू के साथ एक भी कमेटी नहीं थी। संविधान के तहत सरदार पटेल प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन लोकतंत्र का अपमान किया गया। ऐसी पार्टी देश के संविधान का पालन कैसे कर सकती है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए संविधान सबसे महत्वपूर्ण है” क्योंकि इसी के दम पर वह और उन जैसे कई और नेता आज इस सदन में हैं जिनके परिवार की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं रही है। उन्होंने कहा कि संविधान के साथ छेड़छाड़ करना, उसकी भावना को कमजोर करना कांग्रेस पार्टी की रगों में रहा है जबकि “हमारे लिए संविधान की पवित्रता और शुचिता सर्वोपरि है” और ये सिर्फ शब्द नहीं हैं व्यवहार में भी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 1996 में भाजपा लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी थी और इस नाते राष्ट्रपति ने अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया था।
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वह सरकार मात्र 13 दिन चली और एक वोट से गिर गई। उन्होंने कहा कि यदि संविधान और लोकतंत्र में निष्ठा नहीं होती तो अटल बिहारी वाजपेयी भी खरीद-फरोख्त कर सरकार बचा सकते थे, लेकिन उन्होंने सौदेबाजी का रास्ता नहीं अपनाया, बल्कि संविधान का सम्मान करने का रास्ता चुना और 13 दिन बाद इस्तीफा देना स्वीकार किया। यह हमारा इतिहास है। यह हमारे लोकतंत्र की पराकाष्ठा है। पीएम मोदी ने कहा कि 1990 के दशक में कई सांसद रिश्वत लेते पकड़े गए। ऐसी प्रथाओं से 140 करोड़ नागरिकों का लोकतंत्र कलंकित हुआ।
उन्होंने कहा, “कांग्रेस के लिए सत्ता की भूख, सत्ता का जुनून ही उसका इतिहास और वर्तमान है।” उन्होंने दावा किया कि 2014 में एनडीए की सरकार बनने के बाद संविधान और लोकतंत्र मजबूत हुआ। उनकी सरकार ने भी संविधान में बदलाव किए हैं लेकिन वे बदलाव सिर्फ “देश को एकजुट करने” के लिए किए गए। पीएम मोदी ने लोकतांत्रिक मूल्यों में कांग्रेस की निष्ठा पर सवाल उठाते हुए कहा कि अति पिछड़े समाज से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस पार्टी के एक पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी को अपमानित किया गया था। कहा जाता है कि उन्हें बाथरूम में बंद कर दिया गया और फिर फुटपाथ पर फेंक दिया गया। लोकतंत्र को अस्वीकार करते हुए एक पूरी पार्टी पर एक परिवार का कब्जा हो गया। उन्होंने एक किताब से उद्धरण देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बार कहा था, “मुझे यह स्वीकार करना होगा कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र है। सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है।”
पीएम मोदी ने कहा कि इतिहास में पहली बार संविधान को ऐसी गहरी चोट पहुंचाई गई। नेशनल एडवाइजरी काउंसिल को पीएमओ के ऊपर बैठा दिया गया। एक अहंकारी व्यक्ति कैबिनेट के निर्णय को फाड़ दे और कैबिनेट अपना फैसला बदल दे, यह कौन सी लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने निरंतर संविधान की अवमानना की है और इसके महत्व को कम किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने देश की एकता को मजबूत करने की कोशिश की है। आर्टिकल 370 देश की एकता में दीवार बना पड़ा था, इसीलिए उसे हटाया गया। इसे अब सर्वोच्च न्यायालय ने भी मान्यता दे दी है।
उन्होंने कहा कि संविधान लोगों के लिए है और इसलिए यह दस्तावेज हमें उनके कल्याण की दिशा में मार्गदर्शन करता है। वहीं कांग्रेस ने अपना पसंदीदा शब्द “जुमला” अपना लिया है। देश जानता है कि सबसे बड़ा “जुमला” कई पीढ़ियों तक एक ही परिवार द्वारा चलाया गया। यह ‘गरीबी हटाओ’ का जुमला था। उन्होंने कहा कि गरीबों की गरिमा के लिए उनकी सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों के निर्माण करवाया है।