नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की हाल ही में जारी की गई अधिसूचना के खिलाफ एक याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें सरोगेसी कराने के इच्छुक कपल के लिए डोनर गैमेट्स के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी। 14 मार्च की अधिसूचना के बाद संशोधन में कहा गया है कि सरोगेसी से गुजर रहे कपल के पास इच्छुक जोड़े के दोनों गैमेट्स होने चाहिए और डोनर गैमेट्स की अनुमति नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।
मामला एक विवाहित जोड़े का है, जिन्हें सरोगेसी सर्विस का चयन करने से रोक दिया गया।
दलील में कहा गया है: संशोधन वस्तुत: असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (रेगुलेशन) एक्ट, 2021 को समाप्त कर देता है और उस अधिनियम के घोषित उद्देश्य के विरोध में है। उक्त अधिनियम एआरटी प्रक्रिया और सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे की आनुवंशिक शुद्धता की अवधारणा से अलग है।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, विवादित अधिसूचना इन्फर्टाइल कपल के साथ केवल इस आधार पर भेदभाव करती है कि क्या वे गर्भधारण करने में सक्षम हैं। इसके अलावा, यह दावा करता है कि संशोधन में सरोगेसी अधिनियम की धारा 40, 41 और 42 के आधार पर कानूनी इन्फर्टाइल कपल को आपराधिक मुकदमा चलाने और सरोगेसी के प्रति संवेदनशील बनाने की क्षमता है।