सभी जीवन में बड़ा मुकाम हासिल करना चाहते हैं, परन्तु उसके लिए आदमी को कुछ बड़े कार्य करने होते हैं, जिन्हें पूरा करने में बहुधा कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में श्रेयष्कर यह रहता है कि प्रारम्भ में छोटे कार्य अथवा बड़े कार्यों के छोटे भाग का ही चुनाव करना चाहिए न कि सम्पूर्ण बड़े कार्य को एक साथ पूरा करने का प्रयास किया जाये और हर समय उसे पूर्ण करने को व्याकुल रहा जाये।
प्रारम्भ में छोटे कार्यों को ही हाथ में लेना इसलिए उचित है ताकि ये सरलता से पूरे किये जा सके। सफलता चाहे छोटे कार्य की ही क्यों न हो वह व्यक्ति में उत्साह भर देती है, जो उसे बड़े कार्य करने के लिए ऊर्जा प्रदान करती है।
छोटे कार्य में सफल होने पर व्यक्ति अपनी योग्यता और प्रतिभा का अनुभव भी कर लेता है। ऐसे में जब एक कदम आगे बढाया जाता है, तब रास्ता सुगम हो जाता है। इस सफलता को और आगे बढाने में उसकी मस्तिष्क की उत्साह रूपी शक्ति काम करने लगती है।
ऐसे में व्यक्ति को जब एक बार अपनी योग्यता पर विश्वास हो जाता है, तब वह बड़े से बड़े कार्य में भी हाथ डालने लगता है। उसका आत्मविश्वास बढ़ता जाता है। फिर वह बड़े से बड़े कार्य को आसानी से सम्पादित करके सफलता प्राप्त करता रहता है और बड़े से बड़े उद्देश्यपूर्ण कार्य को पूर्ण करने की सफलता प्राप्त करने में उसे अधिक कठिनाई का अनुभव भी नहीं होता।