नई दिल्ली। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आज केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ दर्ज मानहानि मामले में आरोप तय करने को लेकर सुनवाई टाल दी है। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने 15 दिसंबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया।
आज कोर्ट को बताया गया कि अशोक गहलोत को समन जारी करने के खिलाफ सेशंस कोर्ट में दायर अर्जी पर 7 दिसंबर को फैसला आना है। उसके बाद कोर्ट ने सुनवाई टालते हुए कहा कि सेशंस कोर्ट के फैसले के बाद सुनवाई होगी। 21 नवंबर को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने आरोप तय करने में दोनों पक्षों की आंशिक दलीलें सुनी थी।
सुनवाई के दौरान गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से पेश वकील विकास पाहवा ने दलीलें रखते हुए कहा था कि अशोक गहलोत के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त तथ्य हैं। 16 अक्टूबर को अशोक गहलोत की ओर से पेश वकील रमेश गुप्ता ने हाईकोर्ट में लंबित केस से जुड़े दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लेने की मांग की थी। रमेश गुप्ता ने कहा था कि अशोक गहलोत ने शिकायतकर्ता के खिलाफ जो भी बोला है, वो सत्य बोला है। उन्होंने कहा था कि शिकायतकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत से एफआईआर नंबर 32/19 में पूछताछ की गई थी। उन्होंने कहा था कि जो तथ्य हैं, उससे साफ है कि गजेंद्र सिंह शेखावत आरोपित हैं और उसकी जांच स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) कर रही है।
रमेश गुप्ता ने कहा था कि एफआईआर किसी अपराध का एनसाइक्लोपीडिया नहीं होती है और एफआईआर में नाम नहीं होने का अर्थ ये नहीं है कि शिकायतकर्ता और उनके परिजन आरोपित नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि आरोपित राज्य के मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने राज्य के हित में सत्य बोला है। ऐसे में उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला नहीं बनता है।
इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से मेरा कोई संबंध नहीं है। शेखावत ने कहा था कि जांच एजेंसियों ने उन्हें आरोपित नहीं माना, उनके ऊपर झूठे आरोप लगाए गए हैं। शेखावत ने कहा था कि अशोक गहलोत ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए।
याचिका में कहा गया है कि अशोक गहलोत ने सार्वजनिक बयान दिया कि संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी घोटाले में शेखावत के खिलाफ स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में आरोप साबित हो चुका है। मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी ने करीब एक लाख लोगों की गाढ़ी कमाई लूट ली। इस घोटाले में करीब नौ सौ करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगाया गया है। याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने शेखावत का नाम एक ऐसी कोऑपरेटिव सोसाइटी के साथ जोड़ कर चरित्र हनन करने की कोशिश की जिसका न तो वे और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य उस सोसायटी में जमाकर्ता है।