प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि लंबे समय तक चले प्रेम प्रसंग के दौरान बने शारीरिक संबंध को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। भले ही किसी कारणवश शादी से इनकार किया गया हो। कोर्ट ने प्रेमिका से दुष्कर्म करने के आरोपी प्रेमी के खिलाफ निचली अदालत में चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने आरोपी जियाउल्ला की याचिका पर दिया है।
वही युवती का आरोप था कि उसके प्रेमी ने शादी का झांसा देकर पहले रेप किया और बाद में शादी से इंकार कर दिया। साथ ही कोर्ट ने निचली अदालत में चल रही आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया है। साथ ही संतकबीर नगर के जियाउल्ला की जमानत अर्जी मंजूर कर ली है।
बुधवार को जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता की सिंगल बेंच ने इस केस की सुनवाई करते कहा कि लंबे समय तक चले प्रेम प्रसंग के दौरान बने शारीरिक संबंध को दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा- भले ही किसी भी कारण व शादी से इनकार किया गया है।
संत कबीर नगर के महिला थाने में एक युवती ने प्रेमी के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। प्रेमिका ने बयान दर्ज कराते समय कहा था कि 2008 में बहन की शादी के दौरान गोरखपुर में प्रेमी से मुलाकात हुई थी। परिजनों की सहमति से प्रेमी गोरखपुर मिलने उसके घर आने लगा। इस दौरान साल 2013 में शारीरिक संबंध बनना शुरू हो गया।
प्रेमिका का आरोप है कि उसके परिजनों ने प्रेमी को व्यापार करने के लिए सऊदी अरब भी भेजा। जहां से वापस लौटने के बाद उसने शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया। जबकि याची के वकील का कहना था कि शारीरिक संबंध बनाते समय पीड़िता बालिग थी और उसने मर्जी से संबंध बनाए।