नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में ‘टॉयलेट सीट टैक्स’ लगाए जाने के विवादों के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने इसको निराधार बताते हुए कहा कि ‘टॉयलेट टैक्स’ जैसा कोई टैक्स नहीं है। इसका राजनीतिक लाभ नहीं उठाना चाहिए। सुखविंदर सिंह सुखू ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए कहा , “चुनाव से पहले भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में 5 हजार करोड़ की रेवड़ियां बांटी थी, जिसमें उन्होंने मुफ्त पानी के मीटर लगाने का वादा किया था, और कहा था कि पानी का कोई बिल नहीं लेंगे। हमने प्रति परिवार से 100 रुपये का बिल लेने की बात कही। जिसमें ओबेरॉय और ताज जैसे पांच सितारा होटल भी शामिल थे।
इनमें वो भी थे जो कर देने की क्षमता रखते थे। टायलेट टैक्स जैसे कोई टैक्स नहीं है। जो लोग इस पर राजनीति करते है उन्हें समझना चाहिए। इसका सियासी लाभ नहीं लेना चाहिए। चीजों को पहले समझे और फिर बातें करनी चाहिए।” वहीं, हिमाचल प्रदेश के जल शक्ति विभाग की ओर से बयान जारी करते हुए शहरी क्षेत्रों में टॉयलेट के हिसाब से टैक्स लेने की खबरों का खंडन किया गया। उधर, हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के ‘टॉयलेट सीट टैक्स’को लेकर सियासी घमासान लगातार देखने को मिल रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी हिमाचल सरकार के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”अविश्वसनीय, अगर सच है। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता को जन आंदोलन बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस लोगों से शौचालय के लिए टैक्स वसूल रही है। ” हिमाचल प्रदेश सरकार के ‘टॉयलेट पर टैक्स’ लगाने के फैसले पर भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने हमला बोला।
नकवी ने कहा कि महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर कांग्रेस सरकार हिमाचल के लोगों को इस तरह का उपहार दे रही है निश्चित तौर पर इससे ज्यादा असंवेदनशीलता नहीं हो सकती है। एक तरफ पीएम नरेंद्र मोदी हर घर में फ्री टॉयलेट मिले, चौक चौराहा और चौपालों में फ्री टॉयलेट की व्यवस्था हो, उसके लिए मजबूती के साथ अभियान चला रहे हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी अपने राज्य में टायलेट पर भी टैक्स लगा रही है, यह एक क्रिमिनल एक्ट है, इससे ज्यादा कुछ नहीं है।