नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2025 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियों की चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं। एक तरफ आम आदमी पार्टी अपने पिछले 10 साल के शासन के दौरान हुए विकास कार्यों को लेकर लोगों के बीच जा रही है, तो दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी पिछले 10 साल में दिल्ली में फैली अव्यवस्था और तमाम पिछड़ेपन के मुद्दे पर लोगों के बीच जाकर वोट मांग रही है।
इस पर आईएएनएस ने आम लोगों से बात की। स्थानीय निवासी विनय आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के 2013 में वीआईपी कल्चर खत्म करने के बयान पर कहा, “ऐसा नहीं कहा जा सकता कि वीआईपी कल्चर खत्म हो गया है। खर्चा तो पहले जैसा ही है। यह अलग-अलग क्षेत्रों पर निर्भर करता है। विधानसभा में तो उन्होंने काम नहीं किया है।” स्थानीय निवासी प्रोमदिनी कहती हैं, “प्रदेश में वीआईपी कल्चर एकदम खत्म नहीं हुआ है। आम आदमी पार्टी नेता ने हमारे पैसे से अपना घर बनवाया, लेकिन लोगों के लिए काम नहीं किया।
“चमन सक्सेना ने कहा, “स्थिति ऐसी हो गई है कि जमीन से जुड़ा हुआ मध्यम वर्ग और भी नीचे चला गया, जबकि हाई-फाई वर्ग ऊपर चला गया। बीच का आदमी खत्म हो गया।” उन्होंने कहा कि लोगों को मुफ्त सुविधाएं देना ठीक नहीं है, क्योंकि इसका असर टैक्स भरने वालों पर पड़ता है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने आम जनता के लिए क्या किया? जो नीचे के लोग थे, उनके लिए क्या किया गया? पहले जो आदमी नीचे था, अब और नीचे चला गया और जो बीच का आदमी था, वह खत्म हो गया। तो इस तरह समानता तो कहीं दिखती नहीं है। हर सरकार अपनी सुविधा के लिए काम करती है, उन्होंने भी यही किया है। यह तो भ्रष्टाचार की वजह से हुआ है।
चमन सक्सेना ने कहा, “आप खुद देख सकते हैं कि दिल्ली में कितना विकास हुआ है। अगर आप मुझसे पूछें, तो दिल्ली में विकास के नाम पर कुछ खास नहीं हुआ है। अरविंद केजरीवाल को खुद यह बताना चाहिए कि उन्होंने 10 साल में किस प्रकार का विकास किया है। आप जानते हैं कि करीब 10-11 साल पहले उन्होंने एक हड़ताल की थी, जिससे वह प्रसिद्ध हुए थे। इसके बाद उन्होंने जो भी किया है, वह सभी जानते हैं। लेकिन हम मध्यम वर्ग के लोग खत्म होते जा रहे हैं और यह स्थिति आप नहीं समझ सकते।
“स्थानीय निवासी आकाश कहते हैं, “अगर हम कहीं भी जाएं, जैसे मंदिरों में, तो हम वीआईपी कल्चर को देख सकते हैं। उनके खुद के विधायक और नेता इसका इस्तेमाल करते हैं। यह घोटाले की स्थिति है, क्योंकि अगर घोटाले नहीं होते, तो लोग इसके बारे में बात नहीं करते। आम जनता बेवकूफ नहीं है, वह समझती है कि क्या चल रहा है और क्या नहीं। अगर हम बसों की बात करें, तो भले ही ये मुफ्त सेवा दी जा रही है, लेकिन बसों का रखरखाव सही नहीं है, ड्राइवरों की तनख्वाह भी रुकी पड़ी है और जो पैसा वसूल किया जाता है, वह सही तरीके से खर्च नहीं हो रहा है।”