मेरठ। पिछले लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2022 के राजनैतिक समीकरण देखे तो मेरठ में ना तो हिंदुत्व की लहर का मतदाताओं पर प्रभाव पड़ा और ना ही राम मंदिर या मोदी और योगी के चेहरे पर वोट मिले। यहीं कारण रहा कि पश्चिम यूपी में भाजपा को सात लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा और 2022 के विधानसभा चुनाव में मेरठ में सात में से चार सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। जबकि मेरठ भाजपा और संघ की राजनैतिक प्रयोगशाला है। मेरठ में जहां भाजपा का पश्चिम क्षेत्र का मुख्यालय है वहीं आरसएसएस का शंकर आश्रम है। जहां से लिए गए निर्णयों का असर पूरे प्रदेश और देश में होता है।
मेरठ से भाजपा ने रामायण धारावाहिक के राम अरूण गोविल को टिकट देकर भाजपा ने एक बार फिर से इस सीट पर हिंदुत्व की लहर पैदा करने की कोशिश की है। लेकिन हिंदुत्व की ये लहर भाजपा के लिए मेरठ में कितनी मुफीद होगी ये आने वाले चुनावी माहौल में पता चल जाएगा।
मेरठ में हर मानक पूरा करने की कोशिश
मेरठ निवासी और पर्दे के भगवान राम अरुण गोविल को भाजपा ने मेरठ-हापुड़ लोकसभा से टिकट देकर भाजपा ने पंजाबी, वैश्य के साथ ही हिंदुत्व की लहर के सहारे पश्चिम को कसने का प्रयास किया है। 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पहुंचे अरुण गोविल जब भाजपा नेताओं के साथ थे तभी मेरठ में टिकट बदलाव की पटकथा लिखी जा चुकी थी। अरुण गोविल की राजनीतिक पारी मुहूर्त यहीं से हुआ था।
पश्चिम की राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक राजधानी
मेरठ को पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक राजधानी माना जाता है। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा मेरठ से कोई दमदार चेहरा तलाश रही थी। इसमें कई नाम शामिल थे। स्थानीय दिग्गज भाजपा नेता भी टिकट की दौड़ में थे। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और फिल्म अभिनेता अरुण गोविल का नाम टिकट की चर्चाओं में खूब रहा। पिछले दो सप्ताह से मेरठ के लिए कई नामों पर चर्चाओं के बीच हिंदुत्व का चेहरा माने वाले अरुण गोविल के नाम पर आखिरकार मोदी की सहमति बन गई।