मेरठ। मेरठ के लालकुर्ती पंचायती मंदिर से हर बार की तरह ही इस बार भी ऐतिहासिक जुलूस निकाला गया। हर बार की तरह इस बार जुलूस गाजे बाजे के साथ निकाला गया। जुलूस की सुरक्षा के लिए पुलिस बल भी साथ रहा। पंचायती मंदिर से शुरू हुआ जुलूस लाल कुर्ती बड़ा बाजार से होता हुआ छोटा बाजार पर खतम हुआ। इस दौरान बैंड बाजा की धुन पर जमकर गुलाब उड़ा और टिशु के फूलों का पानी से होली खेली गई। जुलूस निकालने की परंपरा 100 साल पुराना है।अंग्रेजों के शासनकाल से यह जुलूस निकालने की परंपरा चली आ रही है। जिस इलाके से जुलूस निकलता है उसके बाद वहा होली नहीं खेली जाती है।
जहां से निकलता है जुलूस बंद हो जाता है रंग खेलना
बताया जाता है कि जुलूस निकालने की परंपरा करीब 100 साल पुरानी है। जुलूस जिस इलाके से निकलता है उस इलाके में होली पर रंग खेलना बंद हो जाता है और लोग बिना रंगों की होली में एक दूसरे के गले मिलते हैं। जुलूस रंगों की होली पर दिन में 12 बजे शुरू होता है और पूरे लालकुर्ती में घूमकर करीब 2.30 बजे समाप्त होता है। जुलूस के दौरान इसमें शामिल लोगों पर छत से पानी और रंग डाला जाता है। जुलूस में शामिल लोग सभी से गले मिलते हैं और उन पर रंगों की बौछार करते जाते हैं।