Tuesday, May 20, 2025

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की मुसीबत बढ़ी, सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ सुनवाई के लिए दी सहमति

नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई की सहमति दे दी। यह याचिका न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में मार्च महीने में लगी आग के दौरान कथित नकदी बरामदगी से जुड़े विवाद से जुड़ी है।

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मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा की ओर से तत्काल सुनवाई की मांग पर सहमति जताते हुए कहा कि यदि याचिका में प्रक्रियागत त्रुटियां दूर हो चुकी हैं, तो इसे मंगलवार के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है।

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गौरतलब है कि अधिवक्ता नेदुम्परा ने इससे पहले 14 मई को भी शीर्ष अदालत में मामले का उल्लेख किया था, लेकिन उस समय अदालत ने उन्हें प्रक्रिया का पालन करने की सलाह दी थी। नेदुम्परा की याचिका में मांग की गई है कि इन-हाउस जांच समिति की प्रतिकूल रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए।

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इससे पूर्व 28 मार्च को इसी तरह की एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ‘समय से पूर्व’ बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि जब तक आंतरिक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक कार्रवाई का उचित समय नहीं आया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि आवश्यक होने पर भारत के मुख्य न्यायाधीश एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे सकते हैं।

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यह मामला तब सार्वजनिक हुआ जब 14-15 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर आग लगी और उस दौरान कथित रूप से नकदी बरामद हुई। उस वक्त वे दिल्ली उच्च न्यायालय में पदस्थ थे। इसके कुछ ही समय बाद उन्हें उनके मूल स्थान, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया और तब से उन्हें किसी भी न्यायिक कार्य से अलग रखा गया है।

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इस बीच, 8 मई को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश भी की थी।

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हालांकि, कानूनन किसी उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश की पूर्व अनुमति आवश्यक होती है, जैसा कि 1991 के के. वीरास्वामी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था। अब सुप्रीम कोर्ट की अगली कार्यवाही पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि यह मामला भारतीय न्यायपालिका की जवाबदेही और पारदर्शिता से भी जुड़ा है।

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