नई दिल्ली । केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को अपने विरोधियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह उतनी कम्युनल नहीं हैं, जितनी बताई जाती हैं।
स्मृति ईरानी का कटाक्ष और पूरा वाकया काफी दिलचस्प है। वह बताने से पहले आपको याद दिला दें कि मुख्तार अब्बास नकवी के इस्तीफे के बाद जब केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय का कार्यभार स्मृति ईरानी को सौंपा गया गया था, उस समय विपक्षी दलों के कई नेताओं ने उस पर सवाल खड़ा किया था, जिसका जवाब बुधवार को ईरानी ने दिल्ली के एक कार्यक्रम में कटाक्ष के रूप में दिया।
दरअसल, बुधवार को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में एक पुस्तक का विमोचन समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को अतिथि के तौर पर शामिल होना था।
संघ नेता सुनील आंबेकर तो समय से कार्यक्रम में पहुंच गए और लंबे समय तक उन्होंने केंद्रीय मंत्री का इंतजार भी किया। लेकिन, ज्यादा देर हो जाने पर आयोजकों ने स्मृति ईरानी के बिना ही कार्यक्रम की शुरूआत कर दी और आंबेकर से किताब का लोकार्पण भी करवा दिया।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जब कार्यक्रम में पहुंची तो उस समय पुस्तक का लोकार्पण करने के बाद सुनील आंबेकर अपना भाषण दे रहे थे। संघ नेता के बाद जब स्मृति ईरानी भाषण देने के लिए खड़ी हुई तो उन्होंने कार्यक्रम में अपने देरी से आने का कारण बताते हुए कहा कि, “मुझे आने में विलंब हुआ और अगर विलंब का कारण बताउंगी तो कई लोग हंसेंगे। शायद इस निष्कर्ष पर भी पहुंचे कि मैं उतनी कम्युनल नहीं हूं, जितनी बताई जाती हूं।
इस कार्यक्रम से पहले हमारे देश के 1 लाख 75 हजार हाजी हज की यात्रा पूरी करके आए हैं। उसके लिए भारत सरकार में पैरामिलिट्री फोर्स के कुछ लोग, स्वास्थ्य मंत्रालय से डॉक्टर्स की चार सौ लोगों की टीम भेजने वाली पहली मंत्री, महिला नहीं, नॉन माइनॉरिटी नहीं, बल्कि पहली मंत्री मैं।
और, मुस्लिम समाज की महिलाओं पर एक अजीब बंदिश थी कि अगर उन्हें हज पर जाना है तो जब तक पुरुष साथ न हो तो वह हज नहीं कर सकती। उस निर्णय को नरेंद्र भाई ने पलटा और कहा कि इस प्रकार की कोई व्यवस्था या आदेश इस्लाम में नहीं है, जाने दें। पहली बार 4,314 महिलाएं अकेले गईं और वापस हिंदुस्तान लौटी।”
ईरानी ने विरोधी दलों पर कटाक्ष करते हुए आगे कहा कि जब मेरी नियुक्ति हुई थी तब यह कहा गया था कि एक कट्टर हिंदू को अल्पसंख्यक मंत्रालय दे दिया गया है। तब भी मैंने प्रश्न एक ही पूछा था, व्हाट इज द प्रॉब्लम, मैं एक महिला हूं या मैं एक हिंदू है ?
कार्यक्रम में आगे बोलते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि पर्सीक्यूशन एक प्रोसेस का हिस्सा है और जो भी इस गलतफहमी में अभी जी रहा है कि आप अगर सत्ता में हैं और राइट विंग हैं तो आप पर्सीक्यूट नहीं होंगे तो यह किताब इस बात का संकेत है कि सत्ता पाने के बाद भी आपका उत्पीड़न किया जाएगा, आपको ध्वस्त करने का प्रयास किया जाएगा।