Sunday, May 19, 2024

मानहानि मामले में मुझे ही मिली सबसे बड़ी सजा: राहुल गांधी

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |

वाशिंगटन डीसी/नयी दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि आज़ाद भारत के इतिहास में मानहानि के मामले में उन्हें ही अब तक सबसे बड़ी सजा मिली है।

अमेरिका के छह दिन के दौरे पर गए गांधी ने वाशिंगटन डीसी के नेशनल प्रेस क्लब में लोकसभा से अयोग्य घोषित किए जाने संबंधी सवाल पर कहा, “मैं 1947 के बाद के इतिहास में भारत का पहला व्यक्ति हूं, जिसे मानहानि के मामले में सबसे बड़ी सजा मिली है।”

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

उन्होंने कहा, “आज़ाद भारत के इतिहास में अब तक किसी को भी इस तरह के मामले में इतनी अधिक सजा नहीं दी गई है, और वह भी पहले अपराध पर। मेरा मानना है कि मैंने संसद में अडानी को लेकर जो भाषण दिया, उसके बाद मेरी अयोग्यता का मामला सामने आया है। इससे पता चलता है कि भारत में क्या चल रहा है।”

गांधी ने आगे कहा, “मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि मेरे साथ ऐसा कुछ होगा, लेकिन मुझे लगता है कि इससे मुझे एक बड़ा अवसर मिला है। मेरे पास जो अवसर होता, शायद उससे बहुत बड़ा अवसर। राजनीति इसी तरह काम करती है।”

भारत जोड़ो यात्रा को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत में पूरा विपक्ष लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए संघर्ष कर रहा है और इसीलिए उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा करने करने का निर्णय लिया।

प्रेस की आजादी और संस्थाओं की स्वायत्तता संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा “भारत में संस्थाओं और प्रेस पर निश्चित कब्जा है। मैं कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक पूरे भारत में घूमा और लाखों भारतीयों से सीधे बात की। वे मुझे खुश नहीं लग रहे थे। भारत में बढ़ती बेरोजगारी और मुद्रास्फीति दो महत्वपूर्ण और गंभीर मुद्दे हैं, जिनको लेकर लोगों में आक्रोश है।”

गांधी से जब चीनी अतिक्रमण को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “यह सच्चाई है कि चीन ने हमारे बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है। उसने हमारी 1500 वर्ग किमी जमीन कब्जाई हुई है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। यह एकदम अस्वीकार्य है, भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मत इसको लेकर भिन्न हो।”

Related Articles

STAY CONNECTED

74,188FansLike
5,319FollowersFollow
50,181SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय