Saturday, November 23, 2024

बिजनौर में विधायक के पीए ने डीएफओ से की अभद्रता, एसपी ने नहीं लिखी रिपोर्ट, शासन ने कर दिया सस्पेंड

बिजनौर । भाजपा विधायक व डीएफओ बिजनौर के बीच अमानगढ़ क्षेत्र में निर्माण को लेकर उत्पन्न विवाद डीएफओ के निलंबन के बाद समाप्त हुआ। मामला विधायक के प्रतिनिधि नितिन व डीएफओ के बीच हुए विवाद का है, जहां अमानगढ़ सफारी क्षेत्र के केहरीपुर में एक व्यक्ति द्वारा निजी भूमि में भवन निर्माण किया जा रहा था। जिसकी शिकायत विधायक प्रतिनिधि नितिन ने नियमों का हवाला देते हुए डीएफओ से रोकने की मांग की थी। डीएफओ का कहना था कि उक्त निर्माण हमारे वन विभाग के अन्तर्गत नहीं है।

विधायक प्रतिनिधि नितिन पर आरोप है कि उसने डीएफओ अनिल पटेल के साथ अभद्रता की, जिसकी शिकायत डीएफओ ने डीएम से करते हुए पुलिस अधीक्षक बिजनौर को लिखित में तहरीर देते हुए नितिन के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की थी। तीन दिन तक पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज नहीं किये जाने से क्षुब्ध डीएफओ लखनऊ पहुंच गये, जहां उन्होंने अपने साथ हुए घटनाक्रम से विभागीय उच्चाधिकारियों के साथ यूनियन स्तर पर भी मामला उठाया था। हालांकि प्रताड़ित डीएफओ की कही सुनवाई नहीं हुई, बल्कि उनको निलम्बित कर दिया गया।

जानकारी के अनुसार, बढ़ापुर क्षेत्र से भाजपा विधायक कुंवर सुशांत सिंह ने मुख्यमंत्री कार्यालय से डीएफओ अनिल पटेल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग की थी। जिसके बाद डीएफओ का स्थानान्तरण कर दिया गया, लेकिन इस आदेश के तुरंत बाद ही निलम्बन की कार्यवाही कर दी गई। उनकी जगह सफारी इटावा पार्क से अरुण कुमार को डीएफओ बिजनौर पद पर भेजा गया है।

इस घटनाक्रम में बेइज्जत  होने तथा जिले से लेकर प्रदेश स्तर पर गुहार लगा चुके डीएफओ अनिल पटेल के विरुद्ध एकतरफा हुईं इस कार्यवाही ने सरकार के निर्णय पर सवाल खड़े कर दिये हैं। मीडिया में कई दिनों तक चर्चित इस घटना के बाद डीएफओ के विरुद्ध हुईं कार्यवाही से जनता में सरकार की छवि काफी प्रभावित हुईं हैं। माना जा रहा है कि विपक्ष के लिए आने वाले चुनाव में यह मुद्दा सरकार को कटघरे में घेरने के काम आ सकता है। स्थानीय लोगों का मानना है विधायक प्रतिनिधि के विरुद्ध कार्यवाही नहीं कर डीएफओ को दण्डित करना न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। इसमें सरकार की ही छवि प्रभावित हुईं है। भविष्य में अन्य अधिकारी विधायक प्रतिनिधि के आगे दबाव महसूस करेंगे।

एक जिले स्तर के अधिकारी ने नाम नहीं खोले जाने की शर्त पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वीकार किया कि विधायक निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं उनके प्रति अवश्य जवाबदेही बनती है पर विधायक प्रतिनिधि द्वारा अभद्रता करने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होना उल्टे डीएफओ को ही दण्डित करने से ठीक संदेश नहीं गया। अब अधिकारी सही निर्णय लेते हुए भी दस बार सोचेगा।

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