मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित सुभारती यूनिवर्सिटी में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसमें 20 छात्रों ने बौद्ध धर्म का फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर अल्पसंख्यक कोटे के तहत एमबीबीएस में प्रवेश प्राप्त किया। इस घोटाले ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जांच के दौरान यह फर्जीवाड़ा पकड़ में नहीं आया, जिससे इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न हो रहा है।
मामले के सामने आने के बाद शिक्षा और प्रशासनिक विभागों में खलबली मच गई है, और इस पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। अब प्रदेश भर के सभी अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों के प्रमाण पत्रों की जांच की जाएगी, ताकि इस तरह के फर्जीवाड़े को रोका जा सके।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक किंजल सिंह ने मेरठ के सुभारती विश्वविद्यालय में हुए फर्जीवाड़े पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि जांच के बाद जिन छात्रों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाएंगे, उनका प्रवेश तुरंत निरस्त किया जाएगा। इसके साथ ही दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। यह घोटाला शिक्षा क्षेत्र की विश्वसनीयता पर एक गंभीर आघात है, और विभाग इसे पूरी गंभीरता से लेकर जांच कर रहा है।
किंजल सिंह के अनुसार, विभाग अब इस प्रकार के मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है। इस घटना ने एक बार फिर से शिक्षा क्षेत्र में सुधार और सख्त निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित किया है, ताकि भविष्य में इस तरह के घोटालों को रोका जा सके और प्रवेश प्रक्रिया को निष्पक्ष और विश्वसनीय बनाया जा सके।