चरथावल। हरिवंश राय बच्चन की एक कविता की कुछ पंक्तियां है। लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। हार न मानने की ऐसी ही कोशिश की है। दधेडू गांव की रहने वाली आयशा परवीन ने जिन्होंने सिविल जज बनकर न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरे जिले व क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
चरथावल क्षेत्र के ग्राम दधेडू निवासी आयशा परवीन ने हाईस्कूल की परीक्षा नेशनल हाईस्कूल दधेडू से पास की है, वहीं इंटर की परीक्षा नवाब अजमत अली खान कॉलिज से पूरी की है, उसके बाद उन्होंने देहरादून से उन्होंने लॉ की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान उन्होंने सिविल जज बनने का सपना देखा और अपने इसी सपने को सच करने का रुख इख्तियार किया और फिर क्या था अपने मजबूत इरादों से अपने सपने को साकार करने लग गई, जिसका नतीजा सभी के सामने है, आयशा परवीन ने पहले प्रयास में ही सिविल जज की परीक्षा पास कर ली।
आयशा प्रवीण के पिता रिटायर्ड शिक्षक है, जिनका नाम मास्टर सुलेमान है, वही मां एक ग्रहणी हैं। आयशा परवीन अपने परिवार में सबसे छोटी है, जबकि आयशा परवीन के पिता बताते हैं कि उनकी बेटी शुरू से ही पढ़ाई में काफी होशियार थी। आयशा परवीन की इस कामयाबी ने उसके परिवार का मान तो बढ़ाया ही और साथ ही पूरे चरथावल क्षेत्र का नाम भी रोशन किया है।
आयशा परवीन की कामयाबी से परिवार के साथ ही पूरे क्षेत्र के लोगों में खुशी का माहौल है। आयशा परवीन के घर बधाइयों का तांता लगा हुआ है। दूर-दूर से लोग परिवार को मुबारकबाद देने आ रहे हैं। आयशा परवीन की इस कामयाबी ने साबित कर दिया कि मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।