शामली। जनपद में वन विभाग की सह पर हरे भरे आम के वृक्षों पर रात के अंधेरे में लकड़ी माफियाओं द्वारा आधुनिक आरा चलाया जा रहा है. जहाँ एक के बाद एक आम के हरे -भरे पेड़ों को बिना किसी मार्किंग के धड़ल्ले से काटे जा रहा है। वही वन विभाग के अधिकारी जानकारी मिलने के बावजूद भी अंजान बने हुए हैं। जिसके चलते वन विभाग की भूमिका संदेहात्मक प्रतीत हो रही है।
पूरा मामला आदर्श मंडी क्षेत्र के झिंझाना नहर पुल स्थित एक हरे भरे आम के बाग का है। जहां वन विभाग की मिली भगत के चलते रात के अंधेरे में हरे- भरे वृक्षों को लकड़ी माफियाओं के द्वारा चोरों की भांति काटा जा रहा है। वही उक्त कटाई में नियम कानून को पूर्ण रूप से दरकिनार किया गया है। क्योंकि ना तो काटे जा रहे पेड़ों पर किसी भी तरह की ना मार्किंग की गई है। वही रात के अंधेरे में आधुनिक आरे से दर्जनों मजदूरों को लगाकर तेजी के साथ एक के बाद एक आम के हरे भरे पेड़ को जमीन पर गिराया जा रहा है।
वहीं उक्त मामले में जब वन विभाग के फॉरेस्ट गार्ड विपिन कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि 20 आम के पेड़ों की परमिशन वन विभाग व उद्यान विभाग द्वारा दी गई है। लेकिन रात में पेड़ों को नियमों के विरुद्ध है। जिसके लिए वैधानिक कार्रवाई किए जाने प्रावधान भी है। इसके बाद वन विभाग के रेंजर राजेश कुमार से बात की गई तो उनका कहना था कि पेड़ों के काटे जाने की परमिशन लिए जाने के बाद उन्हें रात में भी काटा जा सकता है। वही जब उनसे कोई हादसा होने की बात पूछी गई, तो उन्होंने उसे पल्ला झाड़ते हुए कह दिया कि अगर साइट पर कोई किसी तरह का हादसा होता है तो उसकी जिम्मेदारी बाग मलिक व ठेकेदार की होगी। जहां ऐसे में वन विभाग के लोगों की राय अलग-अलग होना वन विभाग की भूमिका पर सवाल उठता है। वही इतनी सब जानकारी होने के बावजूद भी वन विभाग के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी ने मौके पर जाकर मामले की जांच करना उचित नहीं समझा। जिससे वन विभाग की कार्यशाली पर सवालिया निशान लगना लाजमी है।
वही जिस तरीके से रात के अंधेरे में आम के हरे भरे पेड़ों को चोरों की तरह लकड़ी माफियाओं द्वारा काटा जा रहा है उसे संध्या उत्पन्न होता है क्योंकि वन विभाग से सभी तरह की परमिशन दुरुस्त होना बताया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रात के अंधेरे में इस तरह से पेड़ क्यों काटे जा रहे हैं। जबकि रात में हादसा होने आशंका अधिक होती है। जिससे बड़ी जनहानि हो सकती है। जबकि सभी परमिशन दुरुस्त है तो यह कार्य दिन में भी किया जा सकता है।
वहीं उक्त बाग में आम के हरे भरे वृक्ष जिस ठेकेदार द्वारा काटे जा रहे हैं। सूत्रों की माने तो वह वन विभाग का कमाऊपूत माना जाता है। जिसके द्वारा जिले में दर्जनों आम के बागों को वन विभाग के रहमोक्रम के चलते मैदान बनाया जा चुका है और अभी भी इसी सिलसिला लगातार जारी है। क्योंकि जिस देश के प्रधानमंत्री स्वयं पेड़ लगाकर पर्यावरण बचाने का संदेश देते हैं। वही शामली जनपद में वन- विभाग की निष्क्रिया के चलते प्रधानमंत्री का संदेश निष्फल साबित हो रहा है।