पटना। बिहार की राजधानी पटना समेत राज्य के सभी जिलों से करीब करीब प्रतिदिन साइबर अपराध की घटनाएं सुनने को मिलती हैं। पुलिस इसे रोकने के लिए भले प्रयास करती हो लेकिन साइबर अपराधी इनसे ज्यादा तेज निकल जा रहे हैं। वैसे, पुलिस आम लोगों के सतर्क नहीं होने का भी इसका मुख्य कारण बताती है।
साइबर अपराधी ओएलएक्स के जरिए कभी ग्राहक बनकर लोगों के बैंक खाता से राशि निकाल रहे है तो कभी किसी एजेंसी का शोरूम खोलने के नाम पर बैंक खाते की सफाई कर दे रहे हैं।
हाल के दिनों की घटनाओं पर गौर करें तो 6 अप्रैल को शेखपुरा आश्रम के रहने वाले राकेश पटेल के खाते से 2.57 लाख रुपये की निकासी कर ली और इसके ठीक एक दिन बाद 7 अप्रैल को पटना के कदमकुआं के रहने वाले रिजवान आलम के खाते से 1.89 लाख रुपये उड़ा लिए।
इसके बाद अपराधियों ने 13 अप्रैल को पश्चिमी लोहानीपुर के रहने वाले विजेंद्र लाल के खाते से 5.90 लाख रुपये की निकासी कर ली। 16 अप्रैल को बिटकॉइन में निवेश कर लाखों कमाने का ऑफर देकर एक छात्र से 22 लाख रुपये की ठगी कर ली।
इसके आलावा भी पटना के विभिन्न थाना क्षेत्र से ऐसी घटनाएं घटी हैं। आंकड़ों पर गौर काटें तो वर्ष 2021 में साइबर अपराध से जुड़े 1560 मामले आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) में दर्ज किये गये थे, जबकि वर्ष 2022 में यह संख्या बढ़ कर करीब 2400 हो गयी।
पुलिस के अधिकारी भी मानते हैं कि साइबर अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
अधिकारी बताते हैं कि साइबर अपराधी ठगने के तरीके को बदलते रहते हैं, जिस कारण वे पुलिस की पकड़ से बचते रहते हैं। कई बार पुलिस को अपराधियों को पकड़ने में सफलता भी मिली है।
पुलिस के एक अधिकारी कहते हैं कि पुलिस तो सक्रिय है ही लोगों को भी ऐसे अपराधियों से सतर्क रहने की जरूरत है। वे कहते हैं कि बैंकों द्वारा भी समय समय पर जागरूक करने के संदेश भेजे जाते हैं।
उन्होंने कहा कि जिले में बने साइबर क्राइम सेल यूनिट को प्रभावी बनाने के लिए एक्सपर्ट को तैनात किया जा रहा है।