नई दिल्ली। फ्रांस की यात्रा पर गए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने पेरिस में फ्रांसीसी नौसेना समूह मुख्यालय का दौरा किया। शीर्ष अधिकारियों ने उनका स्वागत किया और स्कॉर्पीन मॉडल प्रस्तुत किया। सीडीएस ने अपनी इस यात्रा के दौरान कलवरी क्लास की 3 और पनडुब्बियां लेने के लिए फ्रांस के साथ बातचीत को अगले दौर में बढ़ाया है। फिलहाल प्रोजेक्ट-75 की पांच पनडुब्बियां भारतीय नौसेना की सेवा में हैं और छठी जल्दी ही कमीशन में आ जाएगी। तीन और पनडुब्बियों का सौदा 3-3.5 अरब डॉलर के बीच होने की उम्मीद है।
जनरल अनिल चौहान फ्रांस की आधिकारिक यात्रा पर 21 अप्रैल को रवाना हुए थे। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सशक्त रक्षा संबंधों को और भी सुदृढ़ करना है, जिनमें पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण रूप से काफी तेजी आई है। यात्रा के दौरान सीडीएस ने सैन्य उपकरणों और उच्च प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए फ्रांस के आयुध महानिदेशालय के जनरल प्रतिनिधि इमैनुएल चिवा से मुलाकात की। उन्होंने फ्रांसीसी रक्षा उद्योग के शीर्ष नेतृत्व के साथ भी बातचीत की। उन्होंने सफ्रान समूह मुख्यालय, डसॉल्ट एविएशन और नौसेना समूह मुख्यालय सहित कुछ अन्य प्रतिष्ठित रक्षा उद्योग इकाइयों का दौरा किया।
सीडीएस जनरल चौहान ने अपने फ्रांसीसी समकक्ष जनरल थिएरी बर्कहार्ट के साथ बातचीत की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग, आपसी सुरक्षा चिंताओं और दोनों देशों के बीच सैन्य आदान-प्रदान बढ़ाने पर विचारों का आदान-प्रदान किया। सीडीएस को फ्रेंच रिपब्लिकन गार्ड ने गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया। जनरल चौहान ने नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हायर डिफेंस स्टडीज के निदेशक और आयुध महानिदेशक से मुलाक़ात की। उन्होंने फ्रांस के वरिष्ठ सैन्य एवं नागरिक नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श किया। सीडीएस की यह यात्रा दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा संबंधों को और गहरा करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें पिछले कुछ वर्षों में काफी तेजी आई है।
जनरल चौहान ने फ्रांसीसी अंतरिक्ष कमान तथा लैंड फोर्सज कमांड का दौरा किया। इसके अलावा उन्होंने इकोल मिलिटेयर (मिलिट्री स्कूल) में सेना और संयुक्त स्टाफ कोर्स के सैन्य छात्र अधिकारियों को संबोधित किया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने प्रथम विश्व युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर भारतीय सैनिकों के सम्मान में पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए न्यू वे-चैपल मेमोरियल और विलर्स-गुइसेलेन में भारतीय स्मारक का दौरा किया। उनकी यह यात्रा इस साल की शुरुआत में जनवरी में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन की भारत की हाई-प्रोफाइल राजकीय यात्रा के बाद अहम मानी जा रही है।
क्या है प्रोजेक्ट-75
इस परियोजना के लिए फ्रांसीसी सहयोगी के रूप में मैसर्स नेवल ग्रुप के साथ समझौता किया गया है। स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण भारत में मैसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड मुंबई में किया जा रहा है। सैन्य क्षेत्र में भारतीय सेना को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत प्रोजेक्ट 75 का निर्माण बड़ी उपलब्धि है। इस परियोजना के तहत नौसेना के लिए छह पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों का निर्माण हुआ है। प्रोजेक्ट-75 की पांच पनडुब्बियां भारतीय नौसेना की सेवा में हैं और छठी जल्दी ही कमीशन में आ जाएगी। इन पनडुब्बियों में एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन, स्पेशल ऑपरेशन फोर्स, एंटी-शिप वारफेयर शामिल हैं।