मुंबई। भारतीय कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर की अवधि में 32 लाख करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया है। यह पिछले साल के समान अवधि के आंकड़े 23 लाख करोड़ रुपये से 39 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया कि मार्च 2024 तक 13.63 लाख करोड़ रुपये का वर्क-इन-प्रोग्रेस है, जो दिखाता है कि आने वाले वर्षों में तेज विकास देखने को मिलेगा।
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रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 23 में सरकारी निवेश जीडीपी के 4.1 प्रतिशत पर पहुंच गया था, जो कि वित्त वर्ष 12 के बाद सबसे अधिक है। वहीं, निजी सेक्टर का निवेश जीडीपी का 11.9 प्रतिशत रहा है और यह वित्त वर्ष 16 के बाद सबसे अधिक है। इस साल फरवरी के अंत में आने वाले वित्त वर्ष 24 के प्राथमिक डेटा में निजी सेक्टर का निवेश की जीडीपी का 12.5 प्रतिशत हो सकता है। बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) भारतीय कंपनियों की फंडिंग का मुख्य सोर्स है। सितंबर 2024 तक 190.4 अरब डॉलर के ईसीबी बकाया थे।
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इसमें पिछली तिमाही के मुकाबले वृद्धि देखने को मिली है। इसमें नॉन-रुपी और नॉन-एफडीआई घटकों की हिस्सेदारी 155 अरब डॉलर थी। इसे हेजिंग के जरिए अधिक स्थिरता मिलती है। इन उधारों में निजी कंपनियों की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत (97.58 अरब डॉलर) है। इसमें से 74 प्रतिशत एक्सपोजर हेज है।
वहीं, सरकारी कंपनियों की इसमें हिस्सेदारी 37 प्रतिशत (55.5 अरब डॉलर) है। सितंबर 2024 तक कुल ईसीबी का दो-तिहाई हिस्सा हेज किया जा चुका है, जो दो साल पहले 55 प्रतिशत था। अनहेज्ड हिस्से में से कुछ सरकारी गारंटी द्वारा समर्थित हैं, जबकि अन्य नेचुरल हेज से लाभान्वित होते हैं, जहां उधारकर्ता विदेशी मुद्रा में कमाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर 2024 तक नेचुरल हेज अनहेज्ड ईसीबी का लगभग 1.5 प्रतिशत था।