गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान एवं आर्य समाज पुराना गांधी नगर के संयुक्त तत्वावधान में बाल चरित्र निर्माण की संभावनाएं विषय पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम आर्य समाज मंदिर पुराना गांधीनगर में हुआ।
कार्यक्रम में आचार्य चंद्रपाल शास्त्री ने कहा कि पूरी दुनिया के लोग भारत में शिक्षा ग्रहण करने आते थे। भारत की संस्कृति वेदों पर आधारित है। वेद ने मनुष्य को सभी प्रकार के ज्ञान विज्ञान को दिया।हमारी भावी पीढ़ी आज के युग में संस्कारों से अलग होती जा रही है। पाश्चात्य संस्कृति वर्तमान पीढ़ी पर अपना प्रभाव डाल रही है।अतः हम सभी को इन कार्यक्रमों के माध्यम से युवा पीढ़ी के चरित्र निर्माण की आवश्यकता है।यह कार्य एक अध्यापक के साथ माता-पिता समाज के सभी व्यक्तियों को भी करना पड़ेगा तभी चरित्र निर्माण संभव होगा।
वैदिक विद्वान डॉक्टर देव शर्मा ने गायत्री मंत्र की शिक्षा देते हुए बुद्धि की चर्चा करते हुए मंत्र के अर्थों को बताते हुए बच्चों को संस्कार युक्त शिक्षा देकर चरित्रवान बनने का संदेश दिया।
डॉ.आर के आर्य (निदेशक स्वदेशी आयुर्वेद,हरिद्वार) ने अपने वक्तव्य में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा बाल चरित्र निर्माण जैसी योजनाओं का आयोजन करने पर प्रसन्नता व्यक्त की। अध्यक्षता बीके कपूर ने की। सहारनपुर से आमंत्रित सुमधुर संगीतज्ञ सुमित कुमार अंगीरस एवं साथीयों द्वारा गाए संस्कृत गीतों के गायन ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
उक्त कार्यक्रम में वेद पाठीयों द्वारा वेद पाठ किया गया और 50 से अधिक प्रतिभागियों ने अपना- अपना कार्यक्रम योग प्रदर्शन, संस्कृत भाषण,संस्कृत गीत, कथक नृत्य,राष्ट्रीय गान आदि सामूहिक गीतों से वातावरण को बहुत ही मनमोहक बना दिया।
आर्य समाज मंदिर पुराना गांधीनगर के मंत्री वेद व्यास ने उपस्थित सभी आगंतुकों का फूलमाला एवं अंगवस्त्रम पहनाकर स्वागत किया।
कार्यक्रम संयोजक डॉ.अग्नि देव शास्त्री ने कहा कि इन आयोजनों के माध्यम से युवा पीढ़ी को सुसंस्कारित किया जाता है ताकि युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति,अपने ऋषि मुनियों,पूर्वजों और देश पर गर्व कर सके।सुसंस्कारित युवा पीढ़ी ही राष्ट्र की धरोहर है।