नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को जानकारी दी कि इस साल अप्रैल के दौरान भारत में कुल कोयला उत्पादन 81.57 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में उत्पादित 78.71 मीट्रिक टन से 3.63 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2025-26 में अप्रैल के दौरान कैप्टिव/अन्य संस्थाओं की खदानों से उत्पादन 14.51 मीट्रिक टन रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान दर्ज 11.46 मीट्रिक टन से शानदार वृद्धि दर्शाता है। कोयला मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि यह उछाल भारत के कुल कोयला उत्पादन में कैप्टिव माइनिंग के बढ़ते योगदान को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2025-26 में अप्रैल के दौरान भारत का कुल कोल डिस्पैच 86.64 मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो अप्रैल 2024 के दौरान दर्ज 85.11 मीट्रिक टन से लगातार वृद्धि दर्शाता है। 30 अप्रैल तक कोयला कंपनियों के पास स्टॉक तेजी से बढ़ा है, जो वित्त वर्ष 2025-26 में 125.76 मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 102.41 मीट्रिक टन था।
अकेले कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) में कुल कोयला स्टॉक वित्त वर्ष 2025-26 में 105 मीट्रिक टन रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में दर्ज 86.60 मीट्रिक टन से 22.1 प्रतिशत अधिक है। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह उछाल 22.8 प्रतिशत की प्रभावशाली वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है, जो कोयला क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन और दक्षता को दर्शाता है। मंत्रालय निरंतर विकास हासिल करने, कोयले की उपलब्धता में सुधार करने और आयात पर निर्भरता कम करने पर केंद्रित है। घरेलू उत्पादन में वृद्धि के कारण भारत का कोयला आयात अप्रैल से दिसंबर 2024 के दौरान 183.42 मिलियन टन (एमटी) रह गया, जो कि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 200.19 मीट्रिक टन से 8.4 प्रतिशत घटा है। मंत्रालय ने कहा कि कोयले के आयात में कमी के कारण देश को लगभग 5.43 बिलियन डॉलर (42,315.7 करोड़ रुपए) की विदेशी मुद्रा की बचत हुई। बिजली क्षेत्र को छोड़कर गैर-विनियमित क्षेत्र में अधिक महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई, जिसमें आयात में सालाना आधार पर 12.01 प्रतिशत की गिरावट आई। हालांकि, कोयला आधारित बिजली उत्पादन में पिछले वर्ष की तुलना में अप्रैल से दिसंबर 2024 तक 3.53 प्रतिशत की वृद्धि हुई, लेकिन कोयले के कैलोरी मान को बढ़ाने के लिए थर्मल पावर प्लांट द्वारा ब्लेंडिंग के लिए आयात में 29.8 प्रतिशत की तीव्र कमी आई। सरकार ने घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने और आयात कम करने के लिए कमर्शियल कोल माइनिंग और मिशन कोकिंग कोल सहित कई पहलों को लागू किया है।