चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष 5,637 करोड़ रुपये के रुके हुए ग्रामीण विकास कोष (आरडीएफ) के मुद्दे को उठाने के लिए राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से हस्तक्षेप की मांग की।
राज्यपाल को लिखे पत्र में मान ने याद दिलाया कि देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पंजाब केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का प्रमुख योगदानकर्ता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद्यान्न की खरीद राज्य द्वारा भारत सरकार के लिए और उसकी ओर से की जाती है और केंद्रीय पूल के तहत खरीदे गए सभी खाद्यान्न को उनकी आवश्यकता के अनुसार भारत सरकार को सौंप दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार राज्य अपनी एजेंसियों के माध्यम से भारत सरकार के एजेंट के रूप में कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिद्धांत रूप में खाद्यान्न की खरीद पर आने वाली सभी खरीद लागत की प्रतिपूर्ति केंद्र सरकार के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा की जानी है।
हालाँकि, उन्होंने कहा कि 2020-21 के खरीफ विपणन सीज़न की अनंतिम लागत शीट में भारत सरकार ने कुछ स्पष्टीकरण के अभाव में ग्रामीण विकास निधि की प्रतिपूर्ति नहीं की है।
मान ने कहा कि इसके बाद चर्चा के बाद राज्य सरकार ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा मांगे गए सभी स्पष्टीकरण प्रस्तुत किए और भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार पंजाब ग्रामीण विकास अधिनियम, 1987 में भी संशोधन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तदनुसार 2021-22 तक ग्रामीण विकास शुल्क की रोकी गई राशि भारत सरकार द्वारा जारी कर दी गई है। हालाँकि, उन्होंने कहा कि 2021-22 से विभाग ने पंजाब ग्रामीण विकास अधिनियम, 1987 में संशोधन करने के बावजूद ग्रामीण विकास शुल्क का भत्ता बंद कर दिया है।
मान ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तीन प्रतिशत की दर से ग्रामीण विकास शुल्क पंजाब ग्रामीण विकास बोर्ड को देय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी व्यय अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार किए जाते हैं और सभी व्यय मद मूल रूप से ग्रामीण, कृषि और संबंधित मुद्दों के लिए होते हैं।
उन्होंने कहा कि ये अंततः कृषि विकास को प्रभावित करते हैं और किसानों को अपनी आजीविका बढ़ाने में सुविधा प्रदान करते हैं जिससे खरीद केंद्रों की दक्षता में वृद्धि होती है।