इस बड़े हमले को ऐसे समय में अंजाम दिया गया है, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस देश के दौरे पर हैं। इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित एक आतंकवादी संगठन का हाथ होने का संदेह जताया जा रहा है।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर फरवरी 2019 में हुए हमले के बाद कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकवादी हमला उन पर्यटकों को निशाना बनाकर किया गया, जो दोपहर के भोजन के समय मुख्य शहर पहलगाम से कुछ किलोमीटर दूर एक सुरम्य लेकिन गैर-मोटर वाहन योग्य स्थान बैसरन में घास के मैदान की सुंदरता का आनंद ले रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकवादियों की संख्या चार थी और उन्होंने विशेष रूप से देश के विभिन्न हिस्सों से आए पर्यटकों को निशाना बनाया। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
हताहतों की संख्या के बारे में अब तक हालांकि, कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गयी है, लेकिन विभिन्न सूत्रों ने पुष्टि की कि कम से कम 28 लोग मारे गये हैं और लगभग 10 घायल हुए हैं। मारे गए लोगों में दो विदेशी और दो स्थानीय लोग भी शामिल हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटनास्थल पर वाहन से नहीं पहुंचा जा सकता था, जिसके कारण सुरक्षा बलों को पैदल ही घटनास्थल पर पहुंचना पड़ा।
हमले में मारे गये कर्नाटक के शिवमोगा के 48 वर्षीय पर्यटक मंजूनाथ की पत्नी पल्लवी ने कहा, “यह अब भी एक बुरे सपने जैसा लगता है।” अपने पति और नाबालिग बेटे के साथ छुट्टियां मनाने आई पल्लवी ने कहा, “तीन से चार लोगों ने हम पर हमला किया, मुझे लगता है कि यह अपराह्न करीब 1.30 बजे हुआ। उनकी (मंजूनाथ की) मेरी आंखों के सामने मौके पर ही मौत हो गयी। मैंने उनसे कहा – मुझे भी मार दो। तुम पहले ही मेरे पति को मार चुके हो। उनमें से एक ने कहा, “मैं तुम्हें नहीं मारूंगा। जाओ मोदी को यह बताओ।”
हमले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सुरक्षा समीक्षा बैठक करने के लिए शाम को दिल्ली से कश्मीर पहुंचे। इससे पहले श्री शाह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घटना की जानकारी दी, जो आज से सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा पर हैं। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री दोनों ने अपराधियों को नहीं बख्शने का प्रण लिया है।
श्री मोदी ने ‘एक्स’ पर कहा, “इस जघन्य कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाएगा, उन्हें बख्शा नहीं जायेगा। उनका नापाक एजेंडा कभी सफल नहीं होगा। आतंकवाद से लड़ने का हमारा संकल्प अडिग है तथा यह और भी मजबूत होगा।” प्रधानमंत्री ने उन परिवारों के प्रति संवेदना भी व्यक्त की जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया और कहा कि प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है।
श्री शाह ने ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में कहा, “आतंक के इस नृशंस कृत्य में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जायेगा और हम अपराधियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करेंगे।” उन्होंने कहा कि उन्होंने संबंधित अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक की।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि हमलावरों का पता लगाने के लिए तलाशी अभियान शुरू किया गया है। वह केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा और कानून व्यवस्था की देखरेख करते हैं।
गौरतलब है कि 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में यह पहला बड़ा आतंकवादी हमला है। पिछला बड़ा आतंकवादी हमला 14 फरवरी, 2019 को हुआ था, जब जैश-ए-मोहम्मद के एक स्थानीय आत्मघाती हमलावर आदिल डार ने लेथपोरा पुलवामा में अपनी विस्फोटकों से भरी कार को सीआरपीएफ की बस से टकरा दिया था, जिसमें बल के 40 जवान मारे गये थे।
इस हमले के बाद बालाकोट में हवाई हमले किये गये। एक दिन बाद पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की और इससे दोनों देशों के बीच एक संक्षिप्त लड़ाई शुरू हो गयी। पुलवामा हमले ने भारत और पाकिस्तान को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया था। इससे पहले, जुलाई 2017 में दक्षिण कश्मीर में एक आतंकवादी हमले में अमरनाथ गुफा का दर्शन करके लौट रहे आठ तीर्थयात्री मारे गये थे तथा 10 से अधिक घायल हो गये थे।
हेल्पलाइन नंबर जारी:
पर्यटकों की मदद के लिए अनंतनाग पुलिस ने 9596777669 और 01932225870 नंबर जारी किए हैं। वॉट्सऐप हेल्पलाइन नंबर 9419051940 भी उपलब्ध है। श्रीनगर पुलिस की हेल्प डेस्क के लिए इमरजेंसी नंबर 0194-2457543 और 0194-2483651 जारी किए गए हैं। इसके अलावा एडीसी श्रीनगर आदिल फरीद का नंबर 7006058623 भी मदद के लिए उपलब्ध है।
इस हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा और शोक की लहर है। सुरक्षा एजेंसियां मामले की जांच में जुटी हैं और आतंकियों की तलाश जारी है।