मुरादाबाद। चार साल पहले 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए आरोपित पुलिस उपनिरीक्षक जितेंद्र सिंह तोमर अब आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंस गए हैं। आरोपित एसआई ने एक फर्म के एचआर मैनेजर को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए रिश्वत मांगी थी। जिसके बाद शिकायत मिलने पर एंटी करप्शन टीम ने ट्रैप कार्रवाई की थी और फिर आरोपित की संपत्ति की जांच हुई।
मुरादाबाद के थाना मझोला में बागपत के बड़ौत के गांव हिलवाड़ी निवासी पुलिस उपनिरीक्षक जितेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ शनिवार को आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज हुआ है। वह 2019 में मझोला के नया मुरादाबाद चौकी प्रभारी के पद पर तैनात था। उसी दौरान 29 सितंबर 2019 को नया मुरादाबाद में रहने वाले एक प्राइवेट फर्म के एचआर मैनेजर ठाकुरद्वारा के गांव रायपुर भोगर निवासी संजीव ने खुदकुशी कर ली थी। इस मामले में संजीव के पिता ब्रह्मपाल ने उसकी पत्नी रीना, ससुर महावीर और एक अन्य युवक के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज कराया था।
मझोला पुलिस ने सात अक्तूबर को संजीव की पत्नी रीना को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, लेकिन अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं कर रही थी। जिसके बाद ब्रह्मपाल ने मुकदमे के विवेचक एसआई जितेंद्र सिंह तोमर से संपर्क किया तो उसने अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए दस हजार रुपये की मांग की।
बताया गया कि आरोपित ने दो हजार रुपये ले भी लिए लेकिन फिर भी गिरफ्तारी नहीं की थी। जिसके बाद परेशान होकर पीड़ित ब्रह्मपाल ने एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद 25 अक्तूबर 2019 को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने गागन तिराहे के पास जाल बिछाकर आरोपित दरोगा जितेंद्र सिंह तोमर को दस हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ दबोच लिया था। इसके अगले ही दिन उसे बरेली एंटी करप्शन कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया था। जिसके बाद वह जमानत पर बाहर आ गया। बाद में एसआई जितेंद्र सिंह तोमर का ट्रांसफर बरेली हो गया था। उस ट्रैप कार्रवाई के बाद ही डीजीपी ने दरोगा की संपत्ति की जांच करने के आदेश दिए थे।