सिलक्यारा/देहरादून- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद स्थित सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिये चलाये जा रहे रेस्क्यू अभियान में सहयोग करने के भारत सरकार के आग्रह पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स भी सोमवार को सिलक्यारा पहुँच गए।
श्री डिक्स इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एशोसिएशन (आईटीए) के अध्यक्ष है।
उत्तराखंड सरकार के केंद्रीय संगठनों से रेस्क्यू अभियान में समन्वय के नोडल अधिकारी और सचिव डॉ. नीरज खैरवाल, एनएचएआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद, निदेशक अंशु मनीष खलखो, जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने टनल विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स के साथ विचार विमर्श कर रेस्क्यू अभियान की रणनीति पर चर्चा की।
इसी बीच सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों (श्रमिकों) को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन पूरी तन्मयता के साथ सोमवार रात्रि तक जारी है। सभी श्रमिकों के जीवन को बचाने के लिए प्रतिबद्ध केंद्र और राज्य सरकार आपस में लगातार संपर्क बनाए हुए है और दो किमी निर्मित सुरंग के हिस्से में फंसे श्रमिकों का मनोबल बनाए रखने के लिए सभी प्रयास किये जा रहे है। सुरंग का यह 2 किमी का हिस्सा कंक्रीट कार्य सहित पूरा हो गया है, जो श्रमिकों को सुरक्षा प्रदान करता है।
यह जानकारी आज देर शाम सड़क एवम राष्ट्रीय परिवहन मंत्रालय द्वारा दी गई।
जानकारी के अनुसार सुरंग के इस क्षतिग्रस्त हिस्से में बिजली और पानी उपलब्ध है। श्रमिकों को 4 इंच कंप्रेसर पाइपलाइन के माध्यम से खाद्य पदार्थ और दवाएं आदि प्रदान की जाती हैं। आज एनएचआईडीसीएल ने भोजन, दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए 6 इंच व्यास वाली एक और पाइपलाइन की ड्रिलिंग पूरी कर ली है। इसके अलावा, आरवीएनएल आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए एक और ऊर्ध्वाधर पाइपलाइन पर काम कर रहा है।
बताया गया कि विभिन्न सरकारी एजेंसियां इस बचाव अभियान में शामिल हैं और उन्हें विशिष्ट कार्य सौंपे गए हैं। ये एजेंसियां श्रमिकों की सुरक्षित निकासी के लिए अथक प्रयास कर रही हैं।
जानकारी के अनुसार, ऑगुर बोरिंग मशीन के माध्यम से श्रमिकों के बचाव के लिए सिल्क्यारा छोर से एनएचआईडीसीएल द्वारा क्षैतिज बोरिंग शुरू होने वाली है।
वर्टिकल रेस्क्यू टनल के निर्माण के लिए एसजेवीएनएल की पहली मशीन पहले ही सुरंग स्थल पर पहुंच चुकी है और बीआरओ द्वारा पहुंच मार्ग का काम पूरा होने के बाद परिचालन शुरू किया जा रहा है। ऊर्ध्वाधर सुरंग निर्माण के लिए दो अन्य मशीनों की आवाजाही सड़क मार्ग के माध्यम से गुजरात और ओडिशा से शुरू हुई। टीएचडीसी द्वारा बड़कोट छोर से 480 मीटर लंबी बचाव सुरंग के निर्माण का कार्य शुरू हो गया है।
मजदूरों के बचाव के लिए आरवीएनएल द्वारा क्षैतिज ड्रिलिंग के माध्यम से माइक्रो-टनलिंग के लिए मशीनरी नासिक और दिल्ली से पहुंचाई जा रही है। अवगत कराया गया है कि वर्टिकल बोरिंग के लिए ओएनजीसी द्वारा यूएसए, मुंबई और गाजियाबाद से मशीनरी जुटाई जा रही है।
आरवीएनएल और एसजेवीएनएल की वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए एप्रोच रोड का निर्माण 48 घंटे के भीतर किया गया है। इसके अलावा, अब ओएनजीसी के लिए भी एप्रोच रोड पर काम जारी है।