मेरठ। न्यूटिमा मामले में चार सदस्यीय जांच समिति ने रिपोर्ट डीएम के यहां दाखिल कर दी है। रिपोर्ट में दोनों पक्षों की कमियां मिली हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि तीमारदार मरीज को बिना बिल का पूरा भुगतान किए ले गए थे। जबकि सुरक्षाकर्मियों और फार्मासिस्ट का तीमारदारों के साथ व्यवहार उचित नहीं था। विधायक अतुल प्रधान पर गाली-गलौज और डॉक्टरों को धमकी दिए जाने का जो आरोप था, उसके सुबूत नहीं मिले हैं। साथ ही दवाइयों के लिए कोड नंबर दिया जाता है, पर्चे पर दवाइयां लिखकर नहीं दी जाती हैं।
जांच समिति के प्रभारी अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया कि विधायक अतुल प्रधान द्वारा न्यूटिमा हॉस्पिटल के विरुद्ध की गई शिकायत के संबंध में समिति ने जांच पूरी कर ली है। समस्त अभिलेखों का अवलोकन करने पर पाया गया कि मरीज के परिजनों द्वारा अस्पताल के विरुद्ध शिकायत के संबंध में संबंधित अधिकारी के यहां आवेदन देकर या उनके संज्ञान में लाकर निराकरण का प्रयास नहीं किया गया। मरीज के परिजन न्यूटिमा हास्पिटल से संबंधित समस्याओं को लेकर विधायक अतुल प्रधान के पास गए। अतुल प्रधान मरीज के परिजनों के साथ अस्पताल गए, जहां चिकित्सालय के प्रबंधक और चिकित्सकों से उनकी कहासुनी हुई, जोकि सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। हालांकि गाली-गलौज और धमकी देने के सुबूत नहीं मिले हैं। मरीज बेबी ऑफ सोनम के परिजनों द्वारा हॉस्पिटल के बिल का पूर्ण भुगतान किए बिना ही मरीज को ले जाना पाया गया।
अपर जिलाधिकारी ने बताया कि न्यूटिमा हॉस्पिटल में आईपीडी नंबर या कोड नंबर मरीज के परिजनों को दिया जाता है, जिसको लेकर वह हॉस्पिटल की फार्मेसी में जाता है, तब उसे दवाइयों के नाम के साथ बिल उपलब्ध कराया जाता है। मरीज के परिजनों को पर्चे पर दवाइयां लिखकर नहीं दी जाती हैं, जिस कारण अधिकतर मरीज के तीमारदारों को चिकित्सालय की फार्मेसी से दवाइयां लेनी पड़ती हैं। चिकित्सालय की फार्मेसी में तैनात फार्मासिस्ट और तैनात कुछ सुरक्षा कर्मियों का मरीजों के तीमारदारों के प्रति व्यवहार उचित नहीं पाया गया।