नई दिल्ली। पूर्व सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि मणिपुर हिंसा में विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि अगर हमारे पड़ोसी देश में ही नहीं, बल्कि हमारे सीमावर्ती राज्य में भी अस्थिरता है, तो वह अस्थिरता हमारी समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खराब है।
उन्होंने विभिन्न विद्रोही समूहों को चीनी सहायता की भी आलोचना करते हुए कहा कि वे सालों से उनकी मदद कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।
पूर्व सेना प्रमुख ने एक समारोह में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिप्रेक्ष्य’ विषय पर इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ये टिप्पणी की।
जनरल (सेवानिवृत्त) नरवणे ने मणिपुर हिंसा के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ”मणिपुर की बात करें तो मैंने शुरू में ही कहा था कि आंतरिक सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।
यदि न केवल हमारे पड़ोसी देश में बल्कि हमारे सीमावर्ती राज्य में भी अस्थिरता है, तो वह अस्थिरता हमारी समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खराब है।”
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, ”मुझे यकीन है कि जो लोग कुर्सी पर हैं और कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार हैं, वे अपना बेस्ट कर रहे हैं। हमें दूसरे अनुमान से बचना चाहिए। ज़मीन पर मौजूद व्यक्ति सबसे अच्छी तरह जानता है कि क्या करना है।”
उन्होंने यह भी कहा कि निश्चित रूप से, विदेशी एजेंसियों की भागीदारी से इनकार नहीं किया जा सकता है।
उनकी यह टिप्पणी तीन मई को मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा के मद्देनजर आई है।
मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोगों को राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।