अब से सौ पचास वर्ष पहले मनुष्य के भोज्य पदार्थों में स्वाभाविक झारों एवं प्राकृतिक तत्वों का पर्याप्त अंश होता था जिसके कारण स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता था।
इस समय मशीनों से पिसा आटा एवं मैदा, मशीनों से पॉलिशदार चावल एवं पॉलिशदार दालें, दानेदार चीनी आदि से बना भोजन सारहीन होता है जिसमें उपयोगी तत्वों की कमी होती है एवं वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और रोग का कारण बनता है।
कृत्रिम रीति से बनाए गए भोज्य पदार्थों में कैल्शियम नहीं होता या बहुत कम होता है। कैल्शियम की कमी का हानिकारक प्रभाव हड्डियों तथा दांतों पर पड़ता है। दांत कमज़ोर होकर हिलने लगते हैं, मसूड़े ढीले पड़ जाते हैं और खाद्य पदार्थों के कण उसमें समा जाते हैं। सफाई न होने की स्थिति में मसूड़े फूलने लगते हैं व सड़ जाते हैं।
खून निकलने लगता है, दर्द होता है, मवाद पड़ जाता है व मुंह से बदबू आने लगती है और पायरिया रोग उत्पन्न हो जाता है। यह बहुत ही भयानक रोग है। इसे दूर करने के लिए पूर्ण प्रयास करना चाहिए।
वैद्यक शास्त्र में कहा गया है-दांतों को स्वच्छ, साफ व रोगरहित रखने से मनुष्य मंदाग्नि, कब्ज़, पेचिश, मुंखकंठ, तालू, मसूड़े और दांतों के भयंकर रोगों से बच सकता है। दांतों की ठीक से सफाई न होने पर मैल की परत दांतों पर जम जाती है। दंत चिकित्सक द्वारा उनकी सफाई करता है और 6 माह में एक बार सफाई करना आवश्यक बताता है। दांतों की सफाई ठीक से करने पर ही रोगों से बचा जा सकता है।
सरसों का तेल एवं पिसा नमक मिलाकर मसूड़ों की हल्की-हल्की मॉलिश करनी चाहिए।
दांतों को हमेशा कुरेदते नहीं रहना चाहिए। इससे दांतों के मसूड़े खुल जाते हैं जो पायरिया रोग का कारण बनते है। अधिक गरम, अति ठंडा एवं अधिक खारी चीज़ों से मसूड़ों को नुकसान पहुंचता है इसलिए इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
इसके रोगी के लिए हल्का सुपाच्य पौष्टिक आहार एवं नींबू, संतरा, गाजर, टमाटर, मूली आदि का जूस लाभदायक होता है। भोजन करने के बाद दांतों की सफाई अवश्य करनी चाहिए।
-एस. आर. बादशाह