मुजफ्फरनगर। गन्ने का भाव बढ़ाए जाने, एमएसपी गारंटी कानून लागू करने, सिंचाई हेतू बिजली के घंटे बढ़ाए जाने, आवारा पशु नियंत्रण और किसानों की अवैध भूमि अधिग्रहण पर रोक लगवाने के लिए जय किसान आंदोलन द्वारा जिलाध्यक्ष पवन चौहान के नेतृत्व में कचहरी में एकदिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया तथा जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन प्रेषित किया गया।
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धरने को संबोधित करते हुए जय किसान आंदोलन के मंडल प्रभारी ओपी चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री कॉरपोरेट मुनाफाखोरी और कृषि उत्पादन एवं विपणन पर पूँजीपतियों के कब्जे को सुविधाजनक बनाने पर तुले हुए हैं। कृषि विपणन पर प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति रुपरेखा और एमएसपी पर आंशिक खरीद का प्रस्ताव किसानों को उनके कानूनी अधिकार से वंचित करने की कॉरपोरेट साजिश है,जिसे किसान सिरे से खारिज करते हैं।
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उन्होंने कहा कि अब से पहले ट्यूबवेल को सप्लाई की जाने वाली विद्युत आपूर्ति के घंटे 10 की जाती रही है जिसे हाल में घटाकर 7 घंटे कर दिया है और वो भी दो बार में सुबह और शाम में अलग-अलग आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने जिलाधिकारी के माध्यम से बिजली आपूर्ति पूर्ववर्ती रखने की पुरजोर मांग की है।
जय किसान आंदोलन के संस्थापक सदस्य पुष्पेंद्र कुमार ने कहा कि जय किसान आंदोलन केंद्र सरकार द्वारा स्वामीनाथन आयोग द्वारा निर्धारित सी 2+5०’ फॉर्मूले पर सभी फसलों की एमएसपी गारंटी और खरीद और एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने से बचने के लिए किए जा रहे विश्वासघाती छल की कड़ी निंदा करता है। मोदी सरकार कॉरपोरेट लॉबी और देश-विरोधी ताकतों के इशारे पर काम कर रही है, जो भारत की खाद्य सुरक्षा को खत्म कर कृषि पर कब्जा करना और मुनाफाखोरी करना चाहते है। 11 साल से एमएसपी गारंटी कानून के बारे में भारत के किसानों को धोखा दे रही है। अब समय आ गया है कि इस झांसे को देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से उजागर किया जाए ताकि केंद्र सरकार को एक बार फिर से झुकने पर मजबूर किया जा सके और किसानों की वास्तविक मांगों और केंद्र सरकार द्वारा किसानों को दिए गए लिखित आश्वासन को पूरा किया जा सके, जिसके आधार पर जय किसान आंदोलन एवं एसकेएम ने दिसंबर 2०21 में ऐतिहासिक दिल्ली किसान विरोध प्रदर्शन को स्थगित किया था।
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मंडल अध्यक्ष वेदपाल गुर्जर ने कहा कि जय किसान आंदोलन सी 2+5०’ फॉर्मूले पर एमएसपी की गारंटी कानून बनाने और खरीद और मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित करने की अपनी मांग से पीछे नहीं हटेगा। इससे कम कुछ भी भारत के किसानों को स्वीकार्य नहीं है। हम जहां रहते है वह गन्ना किसानों का क्षेत्र है सरकार गन्ना किसानों का मूल्य मुद्रा स्फीति की दर से बढ़ाए अथवा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए।
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मंडल महासचिव अंकुर भाटी ने अपने संबोधन में कहा कि कृषि विपणन पर प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति रुपरेखा कुछ और नहीं बल्कि तीन किसान विरोधी काले कानूनों को फिर से लागू करना है, जिन्हें जय किसान आंदोलन ने एस के एम के साथ मिलकर केंद्र सरकार को वापस लेने को मजबूर किया था। भारत के किसान इस नीति को लागू नहीं होने देंगे। जय किसान आंदोलन के जिलाध्यक्ष पवन चौहान ने कहा कि शेरनगर, बिलासपुर और धनेडा गांव की लगभग 35०० बीघा जमीन को अवैध रूप से अधिग्रहण करने का जो सरकार का षडयंत्र चल रहा है उसे बिल्कुल स्वीकार नहीं किया जाएगा। जय किसान आंदोलन इसके लिए लड़ाई लडऩे का काम करेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि आवारा पशु, बिजली आपूर्ति, अधिकारियों द्वारा किसानों को बिना वजह दफ्तरों के चक्कर काटने के लिए मजबूर किया जाता है, इसे किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। धरने को प्रवीण सिरोही द्वारा भी संबोधित किया गया।
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धरने में मुख्य रूप से अशोक प्रधान, अनिल प्रधान, अरविंद प्रधान, बृजपाल प्रधान, रेशेंद्र प्रधान, शुभम राणा, मोहम्मद एहसान, शहजाद, शादाब, सरदार अमित सेठी, शिवकुमार भाटी, डॉ. बिक्रम, श्यामवीर, विनोद नेताजी, अमित गुर्जर, ऋषिपाल तोमर, मास्टर जयप्रकाश, बलजोर पहलवान, जगपाल चेयरमैन, निरंजन सिंह, आदेश, विजयपाल, गजराज सिंह, नवाब सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।