रांची। झारखंड हाई कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी, समन और रिमांड को चुनौती देने वाली क्रिमिनल रेट याचिका की सुनवाई बुधवार को हुई। एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया।
ईडी की ओर से एएसजीआई एसवी राजू ने पक्ष रखते हुए कहा कि इस याचिका को खारिज किया जाना चाहिए। क्योंकि, हेमंत सोरेन के खिलाफ ईडी के पास प्रर्याप्त सबूत हैं। शेड्यूल ऑफेंस का मामला बनता है। बड़गाईं अंचल के उप-निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के सहयोग से हेमंत सोरेन ने बड़गाईं अंचल की 8.5 एकड़ पर कब्जा कर रखा था। भानु प्रताप, सीओ मनोज कुमार, सीएमओ के कर्मी और जमीन के केयरटेकर ने भी उक्त जमीन का संबंध हेमंत सोरेन से बताया है। उन्होंने बताया है कि इस जमीन पर हेमंत तीन बार गये भी थे।
विनोद सिंह के साथ हेमंत सोरेन के व्हाट्सअप चैट में इस जमीन पर बैंक्वेट हॉल बनाये जाने की बात सामने आयी है। 16 अगस्त को अंचलाधिकारी बड़गाईं को राज कुमार पाहन द्वारा उनकी जमीन पर कब्जे की शिकायत के बाद आनन-फानन में 29 जनवरी को एसएआर कोर्ट ने अंतिम रूप से राजकुमार पाहन को उक्त जमीन का मालिकाना हक दे दिया। यह मालिकाना हक भी उन्हें तब दिया गया जब दिल्ली में हेमंत सोरेन के आवास पर ईडी की छापेमारी हुई थी।
पहले समन के बाद ही तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पावर का उपयोग करते हुए इस केस से संबंधित साक्ष्य को नष्ट करने की कोशिश की है। ईडी ने जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन को आठ अगस्त, 2023 को पहला समन किया था और उन्हें 14 अगस्त, 2023 को उपस्थित होने के लिए कहा गया था। ईडी ने पूछताछ के लिए हेमंत सोरेन को 10 समन जारी किया था, जिसमें से वह मात्र दो समन में ही ईडी के समक्ष उपस्थित हुए थे। सुनवाई में अधिवक्ता एके दास और सौरभ कुमार ने एएसजीआई एसवी राजू को सहयोग किया।
हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वर्चुअली पक्ष रखा था। महाधिवक्ता राजीव रंजन एवं अधिवक्ता पियूष चित्रेश ने उन्हें सहयोग किया। कपिल सिब्बल ने हेमंत सोरेन की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि यह मामला शेड्यूल ऑफेंस का नहीं है, पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बनता है।