नई दिल्ली। युवा भारतीय बैडमिंटन स्टार लक्ष्य सेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया कि कोच प्रकाश पादुकोण ने पेरिस में पूरे ओलंपिक मुकाबले के दौरान उनका फोन जब्त कर लिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने आवास पर भारत के पेरिस ओलंपिक एथलीटों से मुलाकात की और उन्हें सम्मानित किया। इस दौरान लक्ष्य सेन ने अपने डेब्यू के दौरान आई चुनौतियां और खास क्षणों का अनुभव पीएम मोदी के साथ शेयर किया। उन्होंने बताया कि शुरू से ही उनके मैच लंबे थे और हर मुकाबले में उन्हें कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा, जिसके लिए उन्हें शांत रहने और संयम बनाए रखने की आवश्यकता थी।
इन तमाम चुनौतियों के बावजूद उन्होंने अन्य खिलाड़ियों के साथ घुलने मिलने के लिए समय निकाला, अक्सर साथ डिनर किया और अन्य अंतरराष्ट्रीय एथलीटों से भी मिले। सेन ने अन्य एथलीटों के साथ घुलने मिलने पर कहा, “उनमें से कुछ के साथ डिनर करना एक बड़ी बात थी। लक्ष्य सेन ने ये स्वीकार किया कि पहली बार ओलंपियन के रूप में वो अपने शुरुआती मैचों में थोड़े घबराए हुए थे। खासकर सैकड़ों फैंस के सामने खेलना दबाव का मुख्य कारण था। हालांकि, जैसे-जैसे टूर्नामेंट आगे बढ़ा उन्होंने आत्मविश्वास हासिल किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सेन के प्रदर्शन की सराहना की और उन्हें याद दिलाया, “आप ‘देवभूमि’ से हैं और अब आप एक सेलिब्रिटी हैं।” प्रधानमंत्री के शब्दों ने सेन की उपलब्धियों में राष्ट्र के गौरव को उजागर किया, भले ही वे पदक के बिना ही क्यों न हों। इसके जवाब में सेन ने एक दिलचस्प कहानी शेयर की, जिसमें इस युवा स्टार ने कोच प्रकाश पादुकोण का जिक्र किया। सेन ने कहा, “प्रकाश सर ने मैचों के दौरान मेरा फोन छीन लिया था और कहा था कि जब तक मैच खत्म नहीं हो जाते, तब तक आपको यह नहीं मिलेगा।” सेन ने ओलंपिक में पुरुष बैडमिंटन के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय शटलर के रूप में इतिहास रच दिया। उन्होंने राउंड ऑफ 16 में इंडोनेशिया के जोनाथन क्रिस्टी और हमवतन एचएस प्रणय जैसे शीर्ष खिलाड़ियों पर जीत के साथ अपने ग्रुप में शीर्ष स्थान हासिल किया।
उन्होंने क्वार्टर फाइनल में चोउ तिएन-चेन को भी चौंका दिया। लेकिन वे दुनिया के नंबर 1 खिलाड़ी डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसन से सेमीफाइनल में हारने के बाद अपना पहला ओलंपिक पदक जीतने से चूक गए। पीएम मोदी ने अल्मोड़ा के शटलर को प्रोत्साहित करते हुए कहा, “अगर आप पदक लेकर लौटते तो बहुत अच्छा होता, लेकिन फिर भी आपने अच्छा खेला। लेकिन, लोग उत्साह से देखते हैं, न केवल विदेश से, बल्कि हमारे देश के बच्चे भी इस बात से प्रेरित हैं कि आपने ओलंपिक में कितना अच्छा खेला।” सेन ने अपने खेल में सुधार जारी रखने, कड़ी मेहनत करने और भारत में युवा बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा के रूप में काम करने के अपने दृढ़ संकल्प को व्यक्त करते हुए समापन किया।