Wednesday, April 23, 2025

अतीत छोड़ वर्तमान को जियो, भविष्य संवर जाएगा

इस सृष्टि में मन से बढ़कर चलायमान कुछ भी नहीं। इस पल यहां, अगले पल वहां। किसी पैंडूलम की भांति भूत और भविष्य के बीच बिना थके लगातार यहां अभी इसी क्षण में, वर्तमान में, परन्तु चंचल मन है कि रूकने का नाम ही नहीं लेता। नतीजा यह है कि हम लगातार चूकते जाते हैं इस क्षण से, वर्तमान क्षण से या यूं कहें कि जीवन से और फिर वक्त ऐसा भी आता है, जब हमें इस बात का अहसास होता है कि उम्र तो बीत गई, परन्तु हम जीने से वंचित रह गये।

हम सबके अनुभव में यह बात तो अवश्य आई होगी कि मन के भूतकाल में विचरण करने से मुख्यत: क्रोध और पश्चाताप की भावनाएं पनपती हैं और यही मन जब किसी चंचल हिरण की भांति भविष्य रूपी जंगल में कुंलाचे भरता है तो डर और चिंता रूपी शक्तिशाली शत्रु इसे तत्काल ही घेर लेते हैं। भूत और भविष्य के बीच, डांवाडोल मन के लिए स्वत: ही ‘आगे कुंआ पीछे खाई’ वाली स्थिति निर्मित हो जाती है।

मन की इस मैराथन दौड़ में कुल मिलाकर हमें मिलता क्या है? क्रोध, पश्चाताप, डर व चिंता जैसी चंद नकारात्मक भावनाएं जो पल भर में हमारी सारी प्राण ऊर्जा सोख लेते हैं और जीवन की आनन्द सरिता देखते ही देखते सूख जाती है। इसलिए केवल वर्तमान को जिये, इसे संवारे, भविष्य स्वयं संवर जायेगा।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

76,719FansLike
5,532FollowersFollow
150,089SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय