नई दिल्ली। दिल्ली की शकूर बस्ती सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक करनैल सिंह के दिल्ली पुलिस आयुक्त को चिट्ठी लिखकर मुसलमानों के सड़क पर नमाज पढ़ने पर रोक की मांग को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। विपक्षी आम आदमी पार्टी (आप) और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने इस मुद्दे पर बुधवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात की और अपनी राय रखी। सीलमपुर से आप विधायक चौधरी जुबैर अहमद ने कहा, “भाजपा के लोगों को कभी नमाज, अजान और कभी मीट की दुकानों से दिक्कत होती है। उन्हें सिर्फ परेशानी ही है। जब कोई मुद्दा नहीं होता, कुछ बताने को नहीं होता, तो वे धर्म की राजनीति करने पर उतारू हो जाते हैं।
भाजपा के लोगों का ध्यान महिलाओं को 2,500 रुपये देने, दिल्ली के विकास, खराब सीवर व्यवस्था और अर्थव्यवस्था पर होना चाहिए था, लेकिन वे धर्म की राजनीति कर रहे हैं। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुसलमानों को ‘सौगात-ए-मोदी’ बांट रहे हैं, वहीं उन्हीं के चंद विधायक माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। वे सिर्फ नफरत की राजनीति करते हैं। अगर उन्हें दो साल के लिए धर्म पर नहीं बोलने के लिए बैन कर दिया जाए, तो उनकी राजनीति खत्म हो जाएगी।” संगम विहार से भाजपा विधायक चंदन चौधरी ने कहा, “करनैल सिंह ने जो भी पत्र लिखा होगा, वह बहुत ही सोच-समझकर लिखा होगा। इस मुद्दे पर संज्ञान लिया जाएगा और जो भी कानूनी कार्रवाई जरूरी होगी, की जाएगी।” करनैल सिंह पर इस्लाम को कठघरे में रखने के आरोपों को नकारते हुए उन्होंने कहा, “वह ऐसा नहीं करते हैं, हमारी पार्टी के सम्मानित विधायक हैं।
अगर उनके क्षेत्र में कोई अनहोनी हुई होगी, तो उसे लेकर उन्होंने पत्र लिखा होगा।” घोंडा सीट से भाजपा विधायक अजय महावर ने कहा, “पूरे देश में यह समस्या बीच-बीच में आती है। मुस्लिम वर्ग को चिह्नित स्थानों, मस्जिद, मैदानों और छतों पर नमाज पढ़नी चाहिए। लेकिन सड़कों पर नमाज पढ़ने के लिए ट्रैफिक को रोकना और पूरी दिल्ली के लोगों को इसमें भागीदार बनाना गलत है। सड़कों पर नमाज पढ़ने के वक्त होने वाले ट्रैफिक से उन्हें भी परेशानी होती होगी। वे अपने भगवान से ठीक से प्रार्थना नहीं कर पाते होंगे।” उल्लेखनीय है कि करनैल सिंह ने बुधवार को दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को पत्र लिखकर सड़क पर नमाज पढ़ने को लेकर ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने से यातायात बाधित होती है, जिससे लोगों को असुविधा होती है। हम सभी को अपने-अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन यह भी जरूरी है कि सार्वजनिक व्यवस्था और यातायात प्रभावित न हो।