Saturday, November 23, 2024

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र कृषि आधारित उद्योगों पर मिलकर करेंगे काम

भोपाल/नागपुर। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार को कहा कि कृषि आधारित उद्योगों को घर-घर पहुंचाने के लिए मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र मिलकर “एक और एक दो नहीं, एक और एक ग्यारह बनकर” काम करेंगे। महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित एग्रो विजन राष्ट्रीय कृषि मेले के शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि यह मात्र मेला नहीं है, इसने भविष्य के समृद्धशाली देश और प्रदेश की नींव डाली है।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी सामाजिक व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित करने वाले सिद्धहस्त ‘डॉक्टर’ हैं। ग्रामीण कृषि आधारित कामों के आधार पर प्रदेश की पहचान होती है। मैं तारीफ करता हूं कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार घर-घर में कृषि आधारित मत्स्य पालन, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन जैसे घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहित कर रही है। मोहन यादव ने कहा कि उत्पादन और उत्पादकता तक ही नहीं है, उत्पादों के लिए पर्याप्त बाजार उपलब्ध कराने पर भी फोकस किया जा रहा है। मध्य प्रदेश के मंत्री एवं अधिकारियों का एक दल मेले के अवलोकन एवं अध्ययन के लिए भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने गौ-पालकों की आय बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं क्रियान्वित की है।

उन्होंने कहा, “हम श्रीकृष्ण को मानने वाले हैं, जिनके घर गाय है, वे गोपाल हैं और जिनके घर में गाय का कुल है, वह घर गोकुल है। मराठी में बछड़े-बछिया को गौरा और गौरी कहते हैं। हमने गौ-पालकों को गाय के स्थान पर गौरी देने की योजना बनाई है। गौ-पालक पांच गौरी ले जाएं और अपने घर पर उनको बड़ा करें। गौ-पालक दो गाय अपने घर में ही रख लें और तीन गाय हम खरीदेंगे। गौ-पालक दूध का विक्रय करेंगे, उससे उनकी आय में वृद्धि होगी।

” उन्होंने बताया कि सरकार निराश्रित और ऐसी गायों को आश्रय देने के लिए, जिनकी दूध देने की क्षमता कम या शून्य हो गई है और गौ-पालकों ने उन्हें निराश्रित छोड़ दिया है, नगरीय क्षेत्रों में गौ-शालाओं का निर्माण करेगी। भोपाल में 10 हजार गायों की क्षमता वाली गौशाला का भूमि-पूजन होने जा रहा है। इससे सड़कों पर निराश्रित गौ-वंशों से होने वाली दुर्घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा। मध्य प्रदेश में कांजी हाउस, खेड़ा जैसे कैदखानों को भी बंद करने का निर्णय सरकार ने लिया है। मूक पशुओं को जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है

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