नई दिल्ली। मोतीलाल नेहरू मार्ग मस्जिद के मौलाना अरशद नदवी ने शनिवार को आईएएनएस से बात करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख के मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर दिए बयान और यूपी के संभल के हालातों पर चर्चा की। “मंदिर-मस्जिद के रोज़ नए विवाद निकालकर कोई नेता बनना चाहता है तो ऐसा नहीं होना चाहिए, हमें दुनिया को दिखाना है कि हम एक साथ रह सकते हैं।
” आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान पर मौलाना अरशद नदवी ने कहा, “आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जो बात कही है, वो हमारे देश का असली मिजाज है। भागवत देश में एक जिम्मेदार हैसियत के तौर पर पहचाने जाते हैं। उनके इस बात का देश में अच्छा असर जाएगा। ऐसे हालात में उनका ये बयान आना सही है। उनके इस बयान का कई लोगों ने कद्र किया है। हम इस बात की उम्मीद करते हैं कि उनको मानने वाले और उनका अनुसरण करने वाले तमाम लोग भागवत के इस बयान को गंभीरता से लेंगे और देश में जो भाईचारे का ताना-बाना बिगड़ा हुआ नजर आ रहा है, वो फिर से कायम होगा।” उत्तर प्रदेश की संभल के हालिया घटना को लेकर मौलाना ने कहा, “यह पूरी तरह से ध्रुवीकरण हो रहा है। सियासत का नतीजा बहुत ही अफसोसजनक है, वहां पर बच्चों की जानें गईं। मुल्क के बच्चे शहीद हुए, यह बहुत ही अफसोसजनक बात है। मंदिर-मस्जिद के नाम पर ऐसा माहौल पैदा करना हमारे देश की संस्कृति नहीं रही है।” दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर उन्होंने कहा, “मुसलमानों का मसीहा कोई भी नहीं है।
यहां तक की मुसलमानों के अंदर भी कोई नहीं हो सकता। ऐसे में अरविंद केजरीवाल के मुसलमानों के मसीहा होने की बात बिल्कुल गलत है। उनके बारे में मैं यही कहूंगा कि पहले वो खुद के मसीहा बन जाएं तो अच्छा होगा।” मौलाना ने कहा, मुसलमानों के साथ हर पार्टी सौतेला व्यवहार करती है। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने जो काम भाजपा और कांग्रेस नहीं कर सकी है, उसको वो 10-12 साल में करके दिखा दिया है। दिल्ली के अंदर मुसलमानों को सबसे बड़ा नुकसान केजरीवाल ने पहुंचाया है। चुनाव के वक्त उन्होंने एक योजना चलाई है कि 80,000 बुजुर्गों को पेंशन देंगे। लेकिन पहले वो हमारे महिलाओं को वजीफा दे दें, जो पहले दिया जाता था, लेकिन तीन साल से बंद है।