Sunday, January 19, 2025

दिल्ली में मौलानाओं की 17 महीने से रुकी हुई सैलरी इस हफ्ते आने की उम्मीद :  मौलाना साजिद रशीदी

नई दिल्ली। दिल्ली में मुस्लिम धर्म गुरुओं की रुकी हुई सैलरी पर ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद साजिद रशीदी ने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ ने हाल ही में अपना कार्यभार संभाला है और उन्होंने सैलरी से संबंधित फाइल को सक्रिय कर दिया है। मौलानाओं की सैलरी शुक्रवार या शनिवार तक आने की उम्मीद है।

उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ ने हाल ही में अपना कार्यभार संभाला है और उन्होंने सैलरी से संबंधित फाइल को सक्रिय किया है। इसके लिए कुछ दिनों का समय लगेगा, क्योंकि यह फाइल बैंक ब्रांच तक भेजी जाती है। हालांकि, कागजात तैयार कर दिए गए हैं और जैसे ही प्रक्रिया पूरी होगी, मौलानाओं की सैलरी शुक्रवार या शनिवार तक आने की उम्मीद है।” उन्होंने आगे कहा, “इस सैलरी में कुल 240 लोग शामिल हैं, जिनमें से 185 इमाम हैं और बाकी मोहसिन हैं। जो दिल्ली वक्फ बोर्ड के परमानेंट इमाम हैं। इन इमामों की सैलरी 17 महीने से रुकी हुई थी। कुछ इमाम तो 1990 और 1985 से इमाम की भूमिका में हैं।

दिल्ली सरकार ने हाल ही में प्राइवेट इमामों को सम्मान निधि देने का ऐलान किया था, लेकिन यह योजना बाद में बंद कर दी गई और अब इमामों को सैलरी ग्रांट से मिल रही है, जो पहले वक्फ बोर्ड के रेवेन्यू से दी जाती थी।” उन्होंने कहा, “सैलरी के लेट होने के पीछे मुख्य वजह राजनीति और सरकार की कमियां हैं। पहले वक्फ बोर्ड में सीईओ की नियुक्ति नहीं थी और जब केजरीवाल के पास गए, तो यह प्रक्रिया शुरू हुई और सीईओ की नियुक्ति हुई। सियासत के चलते देरी का सामना करना पड़ा, और अगर हम लोग सक्रिय नहीं होते, तो यह सैलरी शायद चुनाव के बाद ही आती।

“उन्होंने कहा, “वक्फ बोर्ड की गलतियां इसमें नहीं हैं, लेकिन जो पुराने बोर्ड की मैनेजिंग कमेटी थी, उसमें कुछ कमियां हो सकती हैं। हालांकि, इमामों का इस मामले में कोई दोष नहीं था। उनकी सैलरी की देरी को जुल्म मानते हुए, यह कहा गया कि यह सभी समस्याएं दिल्ली सरकार और वक्फ बोर्ड की गलतियों के कारण हैं।” उन्होंने अंत में कहा, “दिल्ली सरकार ने पुजारियों और ग्रंथियों को वेतन देने की योजना तो बनाई, लेकिन 240 इमामों को वेतन देने में वे असमर्थ है। इसके अलावा, महिला श्रमिकों को भी मदद देने का वादा किया गया था, लेकिन इन समस्याओं के समाधान के लिए दिल्ली सरकार को पहले अपने सिस्टम को सही करना चाहिए।”

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