Saturday, November 16, 2024

UP निकाय चुनाव में पूरे तन-मन-धन से जुटे पदाधिकारी: मायावती

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती रविवार को लखनऊ मॉल एवेन्यू स्थित पार्टी कार्यालय में बैठक की। यह बैठक नगर निकाय चुनाव को लेकर की जा रही है। बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, मंडल कोऑर्डिनेटर, जिलाध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारी भी शामिल रहे हैं।

मायावती ने सबसे पहले पार्टी संगठन की मजबूती और प्रदेश के गांव-गांव में पार्टी के जनाधार को कैडर के आधार पर बढ़ाने के दिसम्बर माह में दिए गए कार्याें की रिपोर्ट ली। उन्होंने प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए कार्याें में आने वाली कमियों को दूर करने की हिदायत भी दी। उन्होंने यूपी में निकाय चुनाव को पूरी गंभीरता से लेकर उस पर पूरा ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए।

राज्य के ताजा हालात व राजनीतिक घटनाक्रमों आदि से उत्पन्न स्थिति की गहन समीक्षा करने के बाद मायावती ने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से कहा कि यूपी निकाय चुनाव में पूरे तन, मन, धन से जुट जाए। इसके लिए सबसे पहले यह बहुत जरूरी है कि पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी और अन्य जिम्मेदार लोग इस चुनाव में उम्मीदवारों का चयन काफी सोच समझकर करें। उन लोगों को पहले प्राथमिकता दे जो निजी स्वार्थ की बजाए लोगों के हित और कल्याण के साथ क्षेत्र में विकास में रूचि रखते हो।

मायावती ने कहा कि इन चुनावों में आमतौर से सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग एवं विरोधी दलों के साम, दाम, दण्ड भेद आदि घिनौने हथकंडो से भी खुद को बचने के साथ-साथ लोगों को भी इससे बचाने जैसी परिपक्वता के साथ चुनाव जीतने के लिए मुस्तैदी जरुरी है ताकि ‘वोट हमारा राज तुम्हारा’ का घिनौना चक्र का जारी रहना बंद हो।

मायावती ने प्रदेश में बढ़ती महंगाई, गरीबी बेरोजगारी और बदहाल कानून-व्यवस्था तथा इससे उत्पन्न अराजकता जैसी विकट समस्याओं से निपटने को सरकार की ओर से ध्यान नहीं देने पर चिंता व्यक्त की है। कहा कि सरकार के ऐसे कार्यकलापों से विकास के साथ जनहित एवं जन कल्याण के बाधित होने के अलावा देश की प्रतिष्ठा पर भी आंच आ रही है। जिस पर वोट व धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर देश व संविधान हित में जरूर ध्यान देना चाहिए।

मायावती ने कहा कि यूपी निकाय चुनाव में खासकर ओबीसी वर्ग के हित, कल्याण और इनके आरक्षण, बेरोजगारी तथा खेती संकट आदि को लेकर भाजपा और इनकी सरकार पूरी तरह से कठघरे में है। इनकी हालात काफी डामा-डोला है। सपा पार्टी भी दलित और अति पिछड़े एवं मुस्लिम के हित, जानमाल की सुरक्षा के मामले में ढुलमुल नीति और छलावापूर्ण रवैये के कारण पूरी तरह से बैकफुट पर है। ऐसे में अब इन्होंने काशीराम के नाम को भुनाने की नई राजनीति पैतंरेबाजी शुरू कर दी है।

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