भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने उच्च शिक्षा को सशक्त करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज की अध्यक्षता में 17 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, पीजी परिषदों के अध्यक्षों, रजिस्ट्रार और उप रजिस्ट्रार के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। बैठक का एजेंडा विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को बहाल करने और प्रशासनिक और भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से नए कानून के कार्यान्वयन पर केंद्रित था। यह बैठक ओडिशा विधानसभा द्वारा संशोधित उच्च शिक्षा विधेयक पारित किए जाने के एक दिन बाद हुई, जिसे राज्यपाल की स्वीकृति मिल गई।
इस विधेयक में 59 प्रगतिशील खंड पेश किए गए हैं, जिनका उद्देश्य राज्य विश्वविद्यालयों को विदेशी विश्वविद्यालयों और उद्योगों के साथ सहयोग करने में सक्षम बनाना है, जिससे छात्रों के लिए उद्योग-तैयार शैक्षणिक वातावरण का निर्माण हो सके। मीडिया से बात करते हुए मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने कहा, “विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता देना हमारा कर्तव्य है। पिछली बीजू जनता दल सरकार ने उन पर नियंत्रण किया था, जिसके कारण छात्रों, बुद्धिजीवियों और शिक्षकों ने विरोध किया था।
हमने स्वायत्तता बहाल करने के लिए प्रतिबद्धता जताई थी और इस नए कानून के साथ हम उस वादे को पूरा कर रहे हैं। विश्वविद्यालय के चयन या भर्ती प्रक्रियाओं में सरकार का बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं होगा। हम विश्वविद्यालय सीनेट को फिर से स्थापित कर रहे हैं, जिसे पिछली सरकार ने समाप्त कर दिया था और विश्वविद्यालय के संचालन को अधिक लचीला और कुशल बनाने के लिए सिंडिकेट का पुनर्गठन कर रहे हैं।” मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के साथ तालमेल बिठाने के महत्व पर भी जोर दिया और बैठक के दौरान इसके पूर्ण कार्यान्वयन पर चर्चा की। इसके अतिरिक्त, सरकार ने आवास और भोजन के साथ-साथ मुफ्त यूपीएससी कोचिंग प्रदान करके गरीबी रेखा से नीचे के 200 छात्रों का समर्थन करने के लिए एक नई पहल की घोषणा की है। छात्रों का चयन एक साक्षात्कार प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा और सभी संबंधित खर्च राज्य द्वारा वहन किए जाएंगे।