हैदराबाद। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने रविवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मसौदा दिशानिर्देशों और पद्म पुरस्कार चयन में भेदभाव को लेकर केंद्र सरकार पर तीखे आरोप लगाए। उन्होंने यूजीसी के मसौदा दिशानिर्देशों को संविधान पर हमला बताते हुए केंद्र सरकार से इन्हें तुरंत वापस लेने की मांग की।
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मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने बी.आर. आंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय में आंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा कि केंद्र सरकार तेलंगाना के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति दिल्ली से करने का प्रस्ताव कर रही है। उन्होंने इस कदम को राज्यों पर केंद्र के नियंत्रण स्थापित करने और एक सांस्कृतिक साजिश बताया।
रेड्डी ने कहा, “दिल्ली में बैठे लोग तेलंगाना और अन्य राज्यों की वास्तविकताओं से अवगत नहीं हैं। राज्य के विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण करने का यह प्रयास संविधान और संघीय ढांचे पर हमला है। मैं इसे स्वीकार नहीं करूंगा।”
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रेड्डी ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे पर अन्य दक्षिणी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ समन्वय कर रहे हैं। उन्होंने तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के मुख्यमंत्रियों से संपर्क साधा है और जल्द ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू से भी बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा, “हम इस मुद्दे पर सामूहिक रूप से लड़ाई लड़ेंगे।”
रेड्डी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने तेलंगाना सरकार द्वारा सुझाए गए नामों को पद्म पुरस्कारों के लिए नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने लोक गायक और गाथागीतकार गदर, शिक्षाविद चुक्का रमैया, कवि अन्दे श्री, गायक गोरती वेंकन्ना और इतिहासकार जयधीर तिरुमला के नाम प्रस्तावित किए थे, लेकिन केंद्र ने उन पर विचार नहीं किया।
उन्होंने कहा, “यह प्रदेश के लोगों की भावना का अपमान है। राज्य की सिफारिशों को नजरअंदाज करना केंद्र की संघीय भावना के खिलाफ है।”
हालांकि, मुख्यमंत्री ने एम. कृष्ण मडिगा को पद्म पुरस्कार दिए जाने की सराहना की, लेकिन उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश को जहां पांच पद्म पुरस्कार मिले हैं, वहीं तेलंगाना को कम से कम चार पुरस्कार मिलना चाहिए था।
रेवंत रेड्डी ने कहा कि वह जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर राज्य की नाराजगी से अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के लोगों को केंद्र के इस भेदभावपूर्ण रवैये से ठेस पहुंची है।
मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय कर्मचारियों और छात्रों से अपील की कि वे इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि यह केवल तेलंगाना का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे देश के संघीय ढांचे और संविधान की रक्षा का सवाल है।