बिहार के भागलपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा से बिहार में आगामी चुनावों से पहले बड़ी राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है। अपने भाषण में जहां भारत सरकार और बिहार सरकार की उपलब्धियां बताईं तो वहीं कांग्रेस और आरजेडी पर भी जमकर हमला किया। सीधे-सीधे बगैर नाम लिए लालू प्रसाद यादव प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर रहे तो बीच-बीच में कांग्रेस पर भी खरी खोटी सुनाते रहे।
अपनी सभा में विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जंगलराज वालों को हमारी धरोहर और आस्था से नफरत है। इस समय प्रयागराज में एकता का महाकुंभ चल रहा है। यह भारत की एकता और समरसता का प्रतीक है। पूरे यूरोप की जनसंख्या से ज्यादा लोग अब तक कुंभ में डुबकी लगा चुके हैं। बिहार से गांव-गांव के लोग कुंभ में डुबकी लगा रहे हैं लेकिन, यह जंगलराज वाले लोग महाकुंभ को गाली दे रहे हैं। भद्दी-भद्दी गालियां दे रहे हैं। राम मंदिर को कोसने वाले लोग महाकुंभ पर टिप्पणी कर रहे हैं। ऐसे लोगों को बिहार कभी माफ नहीं करेगी। जनता सब देख रही है। यह कहते हुए पीएम नरेंद्र भारत माता के जयकारे लगाए और अपना संबोधन समाप्त किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस और जंगलराज वालों ने बिहार को बदनाम किया, बिहार को पीछे धकेला लेकिन, अब एनडीए सरकार के नेतृत्व में बिहार को वहीं पहचान मिलेगी जो भगवान बुद्ध और सम्राट अशोक के समय में हुआ करती थी। प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में शुरू हुई कई योजनाओं ने नाम भी गिनाएं। उन्होंने कहा कि भागलपुर वैश्विक ज्ञान का केंद्र हुआ करता था। हम नालंदा विवि के प्राचीन गौरव को आधुनिक भारत से जोड़ने का काम कर रहे हैं। जल्द ही केंद्र सरकार विक्रमशिला विवि को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने जा रहे हैं। इसपर काम भी शुरू हो चुका है।
सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहे विक्रमशिला महाविहार के ऐतिहासिक एवं गौरवशाली अतीत के पुर्नजीवित करने के लिए पिछले चुनावी माहौल में प्रधानमंत्री द्वारा विक्रमशिला केन्दीय विश्वविद्यालय स्थापना की न सिर्फ घोषणा की गयी थी, वरन् इसपर त्वरित कार्यवाई करते हुए स्वीकृति-पत्र भी जारी किया गया था और भूमि-अधिग्रहण सरीखे प्रारंभिक कार्यों के बावत करोड़ों के आबंटन भी मुहैय्या कराये गये थे। भूमि का पेंच अभी तक उलझा हुआ है। इतना ही नहीं ,राष्ट्रीय तथा अंतराष्ट्रीय बौद्ध जगत में महत्वपूर्ण स्थान रखने तथा गौतम बुद्ध द्वारा विक्रमशिला के निकट बुद्धासन के परिदर्शन के बावजूद विक्रमशिला को अभी तक बौद्ध सर्किट में शामिल नहीं किया गया है जबकि भगवान बुद्ध द्वारा प्रदर्शित अन्य स्थान बौद्ध सर्किट में शामिल हैं। विडम्बना तो है कि भारत सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा संसद मे सितम्बर 2012 में विक्रमशिला को बौद्ध सर्किट में घोषणा की गयी थी। अपने समय में नालंदा से भी अधिक अहमियत रखनेवाली एवं विरल पुरातत्वविक महत्व की सामग्री सहेजे रखने के बाद भी विक्रमशिला को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करने की दिशा में भी पहल नहीं की गयी। हद तो तब हो गयी विक्रमशिला का घरोहर हमारी संस्कृति का आधार स्तंभ है। बावजूद इसके भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा अस्सी के दशक में पुराविद् डॉ बी.एस.वर्मा के नेतृत्व में खुदाई के बाद विक्रमशिला की पहचान बनी किंतु उस समय मुख्य स्तूप की ही खुदाई हो पायी और आसपास के महत्वपूर्ण स्थल छूट गए जिसके उत्खनन की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की गयी है। यहां दफन हैं कई राज। दरअसल इस महत्वपूर्ण स्थल को सरकार ने पूरी तरह से हाशिये पर रखा है। पर्यटन के मानचित्र पर भी उपेक्षित है। पुरातत्व तथा पर्यटन संबधी बिहार सरकार के किसी भी प्रकाशन तथा प्रचार सामग्री में विक्रमशिला की चर्चा नहीं है। विक्रमशिला परिदर्शन को आनेवाले पर्यटकों तथा बौद्ध धर्मावलंवियों के लिए सड़क, पेयजल, शौचालय, विश्रामागृह, वायुसेवा जैसी सुविधाए नगण्य हैं । इस बार के संबोधन में फिर बिक्रमशिला की याद आयी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भागलपुर स्थित हवाई अड्डा से किसान सम्मान निधि योजना की 19वीं किस्त के रूप में 22 हजार करोड़ रुपये 9.8 करोड़ किसानों के खाते में हस्तांतरित किया। सम्मान निधि के रूप में हर किसान के खाते में दो हजार रुपये भेजे गए। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमारे साथ देश के कोने-कोने से कई मुख्यमंत्री और करोड़ों किसान जुड़े हैं। महाकुंभ के समय में मंदरांचल की इस धरती पर आना सौभाग्य की बात है। इस धरती में आस्था विरासत और विकसित भारत का सामर्थ्य है। यह तिलकामांझी की धरती है। सिल्क सिटी है। बाबा अजगैवीनाथ की धारा में महाशिवरात्रि की भी तैयारी चल रही है। ऐसे समय में मुझे पीएम किसान निधि की किस्त किसानों को भेजने का सौभाग्य मिला है। एक क्लिक पर 9.8 करोड़ किसानों के खाते में पैसे गए हैं। यहां मौजूद किसान भी देख रहे थे पैसा उनके खाते में आया कि नहीं। उनकी आंखों में चमक दिखी। बिहार के 75 लाख किसानों के खाते में 16 करोड़ रुपये गए। प्रधानमंत्री ने लाल किले से कही बातों को दोहराते हुए कहा, साथियों मैंने लाल किले से कहा था कि विकसित भारत के चार स्तंभ है, गरीब, अन्नदाता किसान, युवा और नारी शक्ति। एनडीए सरकार चाहे केंद्र में हो या फिर यहां नीतीश जी के नेतृत्व वाली सरकार, किसान कल्याण हमारी प्राथमिकता में है। किसानों के लिए हमने पूरी शक्ति से काम किया। किसानों को अच्छे बीज, पर्याप्त और सस्ती खाद, सिंचाई, पशुओं का बचाव और आपादा से नुकसान की भरपाई चाहिए। जो लोग लोग पशुओं का चारा खा सकते हैं वे इस स्थिति को बदल नहीं सकते। इसे एनडीए ने बदला है। बीते वर्ष में आधुनिक बीज किसानों को दिए गए। पहले किसान यूरिया के लिए लाठी खाते थे। आज पर्याप्त खाद मिलती है। कोराना के समय में भी खाद की कमी नहीं होने दी। अगर एनडीए सरकार नहीं होती तो आज भी हमारे किसान भाई-बहनों को खाद के लिए लाठियां खानी पड़तीं। आज भी बरौनी खाद कारखाना बंद होता। दुनिया के अनेक देशों में खाद की बोरी जो तीन हजार में मिल रही है, हम तीन सौ से कम में दे रहे हैं। एनडीए सरकार नहीं होती तो यूरिया की एक बोरी तीन हजार में मिलती। हमारी सरकार किसानों की भलाई के लिए काम करती है। इस कारण यूरिया और डीएपी के लिए जो खर्च किसान करते, वह सरकार कर रही है। बीते दस साल में करीब 12 लाख करोड़ रुपये इसके लिए बजट में से दिए हैं। एनडीए सरकार नहीं होती तो आपको पीएम किसान सम्मान निधि भी नहीं मिलती। इसके छह साल पूरे हो गए। अभी तक तीन लाख 70 हजार करोड़ रुपये सीधे किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं। इसमें कोई बिचौलिया नहीं है। राशि सीधे खाते में जाती है। पहले योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पाता था। बिचौलिये ले लेते थे। मोदी और नीतीश जी किसानों का हक किसी को खाने नहीं देंगे।
दलहन और तिलहन में हम आत्मनिर्भर हों, यहां अधिक से अधिक फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगे, किसान खुशहाल हो, इसके लिए सरकार एक से एक कदम उठा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मक्का, केला और धान पर काम करने वाला एफपीओ खगड़िया में रजिस्टर हुआ है। आज देश के लाखों किसान एफपीओ से जुड़े हैं। यह एफपीओ आज कृषि क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये का कारोबार करने लगे हैं। आज 10,000 एफपीओ बनाने का पूरा हो गया है। 10,000वें किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) यह कदम किसानों को बाजार में बेहतर पहचान और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह बिहार दौरा राज्य के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है।
दुनिया के देशों में तसर सिल्क की मांग बढ़ रही है। एनडीए सरकार रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए काफी जोर दे रही है। कई प्रोजेक्ट पर काम भी कर रही है। इससे भागलपुर के बुनकरों को काफी फायदा मिलेगा। उनके उत्पाद दुनिया के कोने-कोने में जाएंगे। बिहार में कई जगहों पर पुल नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए हमलोगों कई पुल बनवा रहे हैं। भागलपुर में गंगा नदी पर 1100 करोड़ की लागत से पुल बनवाए जा रहे हैं। बिहार में बाढ़ से काफी नुकसान होता है। इसके लिए हमने बजट में राशि दी है। बीते सालों में भारत का कृषि निर्यात बहुत बढ़ा है। इसलिए किसानों को उत्पाद की ज्यादा कीमत मिल रही है। अब बारी बिहार के मखाना की है। मखाना आज देश के शहरों में सुबह के नाश्ते का प्रमुख अंग बन चुका है। मैंने 365 दिन से 300 दिन मखाना खाता हूं। यह सुपरफूड है। इसलिए इस बार के बजट में मखाना बोर्ड बनाने का एलान किया गया है। पूर्वी भारत में फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए बिहार अहम भूमिका निभाएगा। यहां पर फूड प्रोसेसिंग के जुड़े संस्थान स्थापित किए जाएंगे। भागलपुर, मुंगेर और बक्सर में केंद्र बनाए जाएंगे। यह आम, टमाटर और आलू के किसानों को मदद पहुंचाएंगे।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पीएम मोदी का लगातार सहयोग मिल रहा है। सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि पीएम मोदी पूरे देश के लिए काम कर रहे हैं। अब इधर-उधर कुछ नहीं। अब इनके ही नेतृत्व आगे और विकास होगा। समाज में हमलोग सबके लिए काम कर रहे हैं। अब तो लड़का लड़की बिहार में 11 बजे रात तक काम कर रहे हैं। उन्होंने जनता से कहा कि आप जान लीजिए सबलोग पीएम मोदी के ही साथ है। इनके नेतृत्व में देश का विकास हो रहा है।लालू-राबड़ी राज पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमलोगों के सरकार में आने से पहले क्या स्थिति थी। लोगों शाम होने के बाद घर से बाहर निकलते नहीं थे। हिन्दू मुस्लिम करते रहते थे। मुस्लिमों का वोट लेते थे और उनपर ध्यान नहीं देते थे। सड़कें नहीं थीं। बिजली का क्या हाल था। पटना में महज आठ घंटा बिजली रहती थी। इसके बाद हमलोगों ने कितना काम किया। राज्य में डर का माहौल नहीं है। बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा पर कितना काम किया। 2005 में राज्य का बजट 28 हजार करोड़ रुपये का था। हमलोगों ने लगातार काम किया। अब तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक बिहार का बजट हो गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने उद्योग को लेकर भी कांग्रेस और आरजेडी पर हमला करते हुए कहा कि बिहार के औद्योगिक विकास पर भी भारत सरकार उतना ही बल दे रही है। बिहार सरकार भागलपुर में जो बहुत बड़ा बिजली कारखाना लगा रही है, उसको कोयले की भरपूर आपूर्ति की जाएगी।इसके लिए केंद्र सरकार ने कॉल लिमिटेड को स्वीकृति दे दी है। मुझे पूरा भरोसा है। यहां पैदा होने वाली बिजली बिहार के विकास को नई ऊर्जा देगी, इससे बिहार के नौजवानों को रोजगार के नए अवसर मिलेगे। वहीं उन्होंने कहा कि साथियों पूर्वोदय से ही विकसित भारत का उदय होगा और हमारा बिहार पूर्वी भारत का सबसे अहम स्तंभ है।बिहार और भारत के साथ कांग्रेस एवं आरजेडी के लंबे कुशासन ने बिहार को बर्बाद किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कार्यक्रम में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, रामनाथ ठाकुर, गिरिराज सिंह और शिवराज सिंह भी मौजूद रहें। मंच पर इन दिग्गज नेताओं की मौजूदगी राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से भी अहम मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी के आगमन को लेकर बिहार एनडीए की ओर से एक स्पेशल ओपन जीप मंगाई गयी थी। इस स्पेशल गाड़ी में प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ मुख्य मंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे।यह नजारा बिलकुल एक रोड शो की तरह था।
प्रधानमंत्री मोदी के इस दांव से मिशन 2025 के लिए के लिए लोगों के बीच एक बड़ा मैसेज चला गया।अब ऐसे में बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार के पाला बदलने की अटकलों को एक बार से खारिज करते हुए बिहार में एनडीए की एकजुटता का बड़ा संदेश दे दिया।प्रधानमंत्री मोदी के इस पहल से न सिर्फ बिहार के लोगों को एनडीए की एकजुटता का संदेश चला गया बल्कि प्रधानमंत्री मोदी ने बता दिया कि बिहार के लोगों को फिर से वह कई बड़ी सौगात देने वाले हैं। सबसे खास बात यह रही कि इस कार्यक्रम के दौरान मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने भी स्पष्ट रूप से कह दिया कि अब इधर उधर कुछ नहीं होने वाला है। अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ही बिहार के लोग उनको वोट दें और सरकार बनाने का काम करें।
प्रधानमंत्री मोदी के बिहार आने के पहले राजद नेता तेजस्वी यादव ने उनसे 15 सवाल पूछते हुए कहा कि 11 वर्ष से आप प्रधानमंत्री हैं और प्रदेश में 20 वर्षों से आपकी सरकार है लेकिन बिहार को कुछ भी विशेष नहीं मिला है और न ही मिलने की उम्मीद है। प्रदेश में 20 वर्षों से और केंद्र में 11 वर्षों से उनकी एनडीए सरकार है। बिहारवासी उनसे झूठ और जुमला नहीं बल्कि कुछ वाजिब सवाल पूछना चाहते हैं।
तेजस्वी यादव ने पूछा, “प्रधानमंत्री कहते थे कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करेंगे लेकिन अब 2025 है, किसानों की आय दोगुनी करना तो दूर कमरतोड़ महंगाई और बेरोजगारी के कारण उनकी आय कम जरूर हो गई है। इसका दोषी कौन है? बिहार के किसानों की समस्याएं, चुनौतियां और संकट अन्य राज्यों की तुलना में अलग हैं। बिहार में खेतिहर मजदूर और बटाईदार अधिक हैं। उनके लिए डबल इंजन सरकार ने क्या विशेष किया?”
उन्होंने आगे सवाल किया, “बिहार के किसानों की आय, साक्षरता दर, प्रति व्यक्ति निवेश सबसे कम बिहार में क्यों है तथा एनडीए के 20 वर्षों के शासन के बाद भी गरीबी और बेरोजगारी में बिहार अव्वल क्यों रहा?”
तेजस्वी यादव ने जहां केंद्र की पीएम श्री मेगा टेक्सटाइल पार्क योजना के तहत बिहार को टेक्सटाइल पार्क नहीं मिलने पर भी सवाल उठाए, वहीं बिहार के विशेष राज्य के दर्जे और विशेष पैकेज को लेकर भी केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की। बंद पड़ी चीनी मिलों को लेकर भी राजद नेता ने सवाल किए हैं। देश की जातीय गणना नहीं होने को लेकर भी प्रधानमंत्री से सवाल पूछे हैं।
उन्होंने आगे तंज कसते हुए कहा कि चुनावी वर्ष में आगामी कुछ महीनों तक प्रधानमंत्री मोदी को बिहार और बिहारियों की गजब चिंता सताएगी। इस वर्ष उन्हें गंगा मैया, छठी मैया, जानकी मैया, माता सीता, ब्रह्म बाबा, महादेव, सूर्य देव, महात्मा बुद्ध, गुरु गोविंद सिंह, जननायक कर्पूरी ठाकुर, लिट्ठी-चोखा, ठेकुआ, मखाना, आम, लीची, सिल्क उद्योग जुबानी याद आएगी।
-कुमार कृष्णन