लखनऊ- उत्तर प्रदेश में नगर निकाय में सभी 17 मेयर सीट जीतकर भाजपा भले ही अपनी जीत का जश्न दिखा रही हो लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चिंतित भी हो रही है। मिशन 80 की तैयारी में जुटी भारतीय जनता पार्टी के लिए निकाय चुनाव बहुत बड़ा झटका बनकर उभरा है और पार्टी के कम से कम दो दर्जन वर्तमान सांसदों के क्षेत्र में निकाय चुनाव का परिणाम प्रतिकूल रहा है, जिसकी वजह से हर महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश आएंगे और गृहमंत्री अमित शाह व राष्ट्रीयअध्यक्ष जेपी नड्डा खुद चुनाव की कमान संभालेंगे !
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह अभी से पूरे अगले साल की रणनीति बना रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी भले ही बड़े दावे करके दिखा रही हो, लेकिन प्रदेश में 2 दर्जन से अधिक केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा सांसदों के निर्वाचन क्षेत्र में निकाय चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। प्रदेश में कुल 91 नगर पालिका परिषद और 191 नगर पंचायतों में पार्टी को जीत मिली है जबकि 108 नगर पालिका परिषद और 353 नगर पंचायतों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी को केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान के इलाके में बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। जिले की 2 नगरपालिका परिषदों और आठ नगर पंचायतों में से भाजपा 9 सीट हार गई है, केवल मुजफ्फरनगर सीट पर भाजपा जीतने में सफल रही है।
मेरठ लोकसभा क्षेत्र की नगर निगम की सीट को छोड़कर 15 में से पार्टी केवल चार निकाय जीत पाई है, लोकसभा की हापुड़ सीट में भी नगरपालिका का चुनाव पार्टी हार गई जिसने भाजपा के सांसद राजेंद्र अग्रवाल की चिंता बढ़ा दी है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह की स्थिति भी ठीक नहीं है ,उनके जिले में भी 9 में से बीजेपी केवल एक नगर पालिका परिषद जीत पाई है। जिले में केवल खेकड़ा की नगर पालिका ही भारतीय जनता पार्टी जीत पाई है जबकि बागपत और बड़ौत नगर पालिका समेत छह नगर पंचायत हार गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह के चुनाव क्षेत्र एटा में भी स्थिति उनके लिए अनुकूल नहीं है। एटा जिले की चार नगर पालिकाओं में से दो भाजपा जीत पाई है जबकि नगर पंचायतों में 6 में से केवल 1 पर ही भाजपा जीती है।
सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र में भी भाजपा के लिए निकाय चुनाव राहत की खबर लेकर नहीं आए हैं। सहारनपुर में मेयर का चुनाव भाजपा जीत गई है वहीं पहली बार देवबंद में भी भाजपा ने विजय हासिल की है इसके अलावा नकुड और सरसावा भी भाजपा के खाते हैं ,इसी लोकसभा क्षेत्र की शामली नगर पालिका भी भाजपा ने जीत ली है लेकिन इसके अलावा पूरे लोकसभा क्षेत्र में भाजपा ने सभी सीटें गवा दी है। शामली जिले में कैराना, कांधला नगरपालिका और थानाभवन, जलालाबाद, गढ़ी पुख़्ता, एलम, ऊन नगर पंचायत भी भारतीय जनता पार्टी हार गई है। सहारनपुर जिले में भी सरसावा में निर्दलीय, गंगोह में बसपा, ननौता में निर्दलीय ,रामपुर मनिहारान में बसपा, अंबेहटा पीर में रालोद, तीतरों में सपा, बेहट में निर्दलीय और छुटमलपुर में गठबंधन प्रत्याशी विजयी हुए हैं।
इटावा में भी पार्टी की स्थिति ऐसी ही रही है, इटावा के सांसद रमाशंकर कठेरिया के निर्वाचन क्षेत्र में नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत में एक भी नहीं जीती,इसी तरह फर्रुखाबाद के सांसद मुकेश राजपूत के इलाके में भी दो नगर पालिका और सात नगर पंचायतें हैं. सदर नगर पालिका पर बसपा ने फिर से जीत दर्ज की। भाजपा तीसरे नंबर पर आई।
सांसद साक्षी महाराज के चुनाव क्षेत्र उन्नाव जिले में तीन नगर पालिका और 16 नगर पंचायत हैं। भाजपा को उन्नाव सदर के साथ ही सिर्फ दो नगर पंचायतों में जीत मिली है। आजमगढ़ के सांसद और भोजपुरी गायक दिनेश लाल निरहुआ के चुनाव क्षेत्र में भी बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में बस्ती सांसद हरीश द्विवेदी हों या खलीलाबाद के सांसद प्रवीण निषाद या डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल, सबके इलाके का बुरा हाल है।
सूत्रों के मुताबिक 13 मई को परिणाम आने के अगले ही दिन पार्टी मुख्यालय ने सभी जिलाध्यक्षों से रिपोर्ट माँग ली थी। 17, 18,19 मई की क्षेत्रीय बैठकों में इस पर बिन्दुवार चर्चा होगी। पार्टी के पास पूरा लेखा-जोखा आ गया है। लोकसभा चुनाव में प्रदेश में मिशन 80 को पूरा करने के लिए जून से ही मोदी और योगी सरकार चुनावी मैदान में उतरेगी। जून से हर महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी न किसी उद्घाटन व शिलान्यास या लोकार्पण कार्यक्रम के जरिए पश्चिम से पूरब और अवध से बुंदेलखंड के जिलों तक पहुंचेंगे। वहीं, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेडी नड्डा संगठनात्मक कार्यक्रमों को धार देकर यूपी की चुनावी रणनीति बनाएंगे।