मुजफ्फरनगर। नगर पालिका परिषद में करोड़ों रूपये के घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। ठेकेदारों ने टैंडर में कुछ फर्जी एफडीआर व कुछ एफडीआर की रंगीन फोटो स्टेट लगाकर पालिका को करोड़ों रूपये का चूना लगा दिया है। इस मामले का खुलासा होने पर चेयरमैन मीनाक्षी स्वरूप ने फिलहाल ऐसे सभी ठेकेदारों के कामों पर रोक लगा दी है और उक्त टैंडर निरस्त कर दिये गये है, चेयरमैन ने इस मामले की जांच बैठा दी है।
उक्त घोटाले की शिकायत शासन को भी कर दी गई है, जिससे पालिका में हड़कम्प मचा हुआ है। यदि इस प्रकरण की सही से जांच हुई, तो कई ठेकेदार, कई बाबू व कई अफसर पफंस सकते हैं। अभी तक फर्जी एफडीआर मामले में लीपापोती किये जाने से गड़बड़झाला नजर आ रहा है। नगर पालिका परिषद में पछले एक साल में हुए टैंडरों में 1०2 टैंडर ऐसे पाये गये है, जिनमें फर्जी अथवा रंगीन फोटो स्टेट एफडीआर की लगी हुई पाई गयी है।
बताया जा रहा है कि वर्तमान चेयरमैन मीनाक्षी स्वरूप की पहली बोर्ड बैठक से ही पालिका ठेकेदारों ने बाबूओं से मिलकर गड़बड़ करना शुरू कर दी थी, जब यह मामला प्रकाश में आया था, तब भी इसी जांच कराई गई, लेकिन मामला दब गया। इस मामले की शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता मौहम्मद खालिद ने शासन को की है। मुख्यमंत्री आफिस व नगर विकास विभाग में शिकायत होने के बाद वहां से कार्यवाही न हुई हो, लेकिन पालिका तंत्र को जैसे इस बात का पता चला, तो खलबली मच गई और कार्यवाही किये जाने के नाम पर लीपापोती शुरू हो गई।
बताया जा रहा है, आधा दर्जन ठेकेदारों ने टैंडर में जो एफडीआर लगाई वह फर्जी पाई गई, जबकि कुछ ने ऐसा किया कि टैंडर खुलते समय ऑरिजनल लगा दी और फिर आरिजनल एफडीआर को हटाकर रंगीन फोटो स्टेट लगा दी गई, इसके बाद आरिजनल एफडीआर को दूसरे टैंडर में लगा दिया गया। पालिका चेयरमैन मीनाक्षी स्वरूप ने इस प्रकार के मामले पकड़ में आने के बाद ऐसे 85 टैंडर निरस्त किये, जिनमें फर्जी एफडीआर लगा दी गई थी। अब इस मामले को लेकर पालिका में पूरी खबली मची हुई है और जांच के दायरे में आधा दर्जन ठेकेदार, कई बाबू व अफसर भी आ रहे है।
सबसे ज्यादा गड़बड़ी पालिका के निर्माण विभाग, जलकल व स्वास्थ्य विभाग में सामने आई है। यहां सबसे मजेदार बात यह है कि इस पूरे प्रकरण की जांच कराने की बात आई, तो टीएस को ही जांच अधिकारी बना दिया गया, जिसकी इस मामले में संलिप्तता थी। यह मामला भी नगर पालिका में चर्चाओं में बना हुआ है। बताया जा रहा है कि फर्जी एफडीआर के आधार पर ही कई टैंडर तो खुल भी चुके है। इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता मौहम्मद खालिद ने बताया कि वह इस प्रकरण की जांच की मांग शासन से कर चुके है।
मुख्यमंत्री व नगर विकास मंत्री को लिखित शिकायत की जा चुकी है। शासन से सही कार्यवाही होने पर जांच में दोषी पाये गये ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने के साथ ही बाबू व अधिकारी भी नपेंगे। पालिका चेयरमैन पति गौरव स्वरूप ने रॉयल बुलेटिन को बताया कि यह मामला पालिका चेयरमैन के संज्ञान में आ चुका है, इसकी जांच कराकर कार्यवाही कराई जा रही है और ऐसे सभी ठेकेदारों को काम देने पर रोक लगा दी गई है और पिछले टैंडर निरस्त कर दिये गये है।
बाबू व अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी और ठेकेदार ब्लैकलिस्ट होंगे। उत्तर प्रदेश शासन में मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने इस संबंध में कहा कि यह बेहद गंभीर विषय है, इस प्रकार का मामला सामने आने से पालिका की छवि खराब हुई है। यह शासन, पालिका व जनता के साथ धोखा है। ऐसे ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट कराने के साथ ही दोषी पाये जाने वाले बाबू व अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही होगी। इस गंभीर विषय को शासन के समक्ष रखा जायेगा और कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।