मुजफ्फरनगर। डेंगू का मच्छर दिन में ही काटता है, इसलिए सावधानी आवश्यक है। हर वर्ष 16 मई को “राष्ट्रीय डेंगू दिवस” मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “डेंगू को हराने के लिए साझेदारी का सहारा ले” है। इस दिन को सभी विभागों द्वारा समन्वय स्थापित करके मनाया जाएगा और “हर रविवार मच्छर पर वार” और सभी विभागों द्वारा गोष्ठी और जागरूकता कार्यक्रम किए जाएंगे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. महावीर सिंह फौजदार ने बताया – गर्मियों की शुरुआत के साथ ही घरों में और आसपास मच्छरों की संख्या बढ़ने लगती है। यह मच्छर कई रोग की वजह बन सकते हैं। मच्छरों से डेंगू-मलेरिया फैलता है। खासकर बारिश में डेंगू का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि डेंगू के मच्छर पानी में पनपते हैं। डेंगू एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज शुरू से नहीं हुआ तो यह जानलेवा हो सकता है। इससे बचाव के लिए जिला अस्पताल में 10 बेड और सीएचसी पर 5 बेड रिजर्व किए गए हैं। एलाइजा जांच के लिए एसएसएच लैब क्रियाशील है। रासायनिक वेक्टर नियंत्रण जैसे लार्विसाइडल का छिड़काव, मच्छर प्रजनन स्थलों का निरीक्षण व अनावश्यक जल पात्रों का खाली कराया जाना तथा अन्य विभागों का अपेक्षित सहयोग प्राप्त करते हुए जन जागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं।
मलेरिया अधिकारी अलका सिंह ने बताया – डेंगू एक वायरल बुखार है, जो मच्छर के काटने से होता है। डेंगू के कारण तेज बुखार, शरीर दर्द, सिर दर्द, गले में खराश और जुकाम हो सकता है। इस दौरान शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। डेंगू के इलाज के बाद भी शरीर में कमजोरी रहती है। इससे बचाव के लिए पूरा शरीर ढकने वाले कपड़े पहनें और अपने घरों के आस-पास पानी जमा न होने दें।
डेंगू के लक्षण
तेज बुखार, बदन, सिर एवं जोड़ों में दर्द, जी मिचलाना एवं उल्टी होना, आंख के पीछे दर्द, त्वचा पर लाल धब्बे या चकत्ते का निशान, नाक, मसूढ़ों से रक्त स्राव, काला मल का आना आदि डेंगू के लक्षण हैं। इस तरह के लक्षण हों तो अपने निकटतम शासकीय स्वास्थ्य केंद्र जाकर डेंगू की जांच अवश्य कराएं।
ऐसे हो सकता है डेंगू से बचाव
डेंगू से बचाव के लिए घर में साफ-सफाई पर ध्यान रखें व कूलर, गमले, बर्तन आदि में पानी जमा न होने दें या पानी रोज बदलें। सोते समय दिन हो या रात, मच्छरदानी का उपयोग करें। पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनें एवं कमरों की साफ-सफाई के साथ उसे हवादार रखें। घर के आसपास गंदगी जमा न होने दें। जमा पानी व गंदगी पर कीटनाशक का प्रयोग करें। खाली बर्तन, टायर व पुराने बर्तन, फूलदान व अन्य समान में पानी जमा न होने दें।