मथुरा। मथुरा-वृंदावन नगर निगम में सर्वाधिक आबादी वाली मथुरा नगर पालिका परिषद जिले की सबसे पुरानी निकाय है। इसका इतिहास 149 साल पुराना है। इस नगर पालिका में दो बार अध्यक्ष बनने का सौभाग्य केवल श्रीनाथ भागर्व को मिला। कांग्रेस और भाजपा (पूर्व जनसंघ) का इस पर बराबरी का दबदबा रहा। अब नगर निगम द्वारा मथुरावासियों को दूसरा मेयर जनता चुनेगी। जिसको लेकर मंगलवार को नामांकन शुरू हो चुका है। जिले में करीब 9.55 लाख मतदाता इस बार निकाय चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। चार मई को मतदान होगा और 13 मई को मतदाताओं के भाग्य का फैसला सामने आएगा।
मथुरा वृंदावन नगर निगम क्षेत्र में 7 लाख 72 हजार 942 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इस सीट पर 3 लाख 30 हजार 140 महिला और 3 लाख 91 हजार 802 पुरुष मतदाता हैं। मंगलवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई। जिले में करीब 9.55 लाख मतदाता इस बार निकाय चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। चार मई को मतदान होगा और 13 मई को मतदाताओं के भाग्य का फैसला सामने आएगा। कोसी नगर पालिका और 13 नगर पंचायतों में बेलेट पेपर से जबकि मथुरा वृंदावन नगर निगम क्षेत्र में ईवीएम से मतदान होगा।
मथुरा में पहली बार एक अक्टूबर 1868 में हुआ था नगर पालिका का गठन
मथुरा नगर में प्रथम बार नगर पालिका का गठन एक अक्टूबर 1868 को हुआ, जो अधिनियम 1916 के तहत नगरीय निकाय बना। सरकारी गजट उप्र इलाहाबाद में 21 फरवरी 56 के भाग-3 में प्रकाशित स्वायत्त शासन विभाग के अनुसार मथुरा को सिटी (नगर) घोषित किया गया। सन् 74 में मथुरा नगर पालिका को ऋणी घोषित किया गया और इस कारण पालिका का बजट अधिनियम की धारा-102 के अंतर्गत मंडलायुक्त आगरा की स्वीकृति के अधीन किया गया। 1990 में इसका सीमा विस्तार कर दिया गया और अब 2017 में मथुरा और वृंदावन पालिका समेत 51 गांवों को मिलाकर नगर निगम बना दिया गया है। इसमें 6.20 लाख मतदाता हैं। यानि अब नगर निगम का आकार डेढ़ विधानसभा क्षेत्र के बराबर हो गया है।
सन् 1995 में भाजपा के वीरेंद्र अग्रवाल पहले ऐसे चेयरमैन बने, जो जनता से सीधे चुने गए। इसके बाद फिर भाजपा का बोर्ड आया और सन् 2000 में रवींद्र पांडेय अध्यक्ष बने। साल 2006 चुनाव में लंबे समय के बाद कांग्रेसी बोर्ड अस्तित्व में आया और श्याम सुंदर उपाध्याय बिट्टू ने जीत हासिल की। साल 2012 के चुनाव में भाजपा ने मनीषा गुप्ता को लड़ाया और वह बड़ी जीत दर्ज करते हुए चेयरमैन बनीं। मथुरा नगर पालिका परिषद जिले की सबसे पुरानी निकाय है। इसका इतिहास 154 साल पुराना है। इस नगर पालिका में दो बार अध्यक्ष बनने का सौभाग्य केवल श्रीनाथ भागर्व को मिला। देश अगस्त 1947 में आजाद हुआ और उसी साल एलपी नागर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष बने। उनका कार्यकाल केवल तीन साल का रह पाया। 1950 में चुनाव हुआ तो राय बहादुर जमुना प्रसाद चेयरमैन बने।
मथुरा निकाय का इतिहास
1. मथुरा नगर पालिका का गठन अक्टूबर 1868 में हुआ।
2. 149 साल के इतिहास में दो बार अध्यक्ष सिर्फ श्रीनाथ भार्गव ही रह सके।
3. आजाद भारत में मथुरा नगर पालिका परिषद के पहले अध्यक्ष एलपी नगर बने।
4. आजाद भारत में मतदाताओं द्वारा चुने गये पहले मथुरा के चेयरमैन राय बहादुर जमुना प्रसाद।
5. सन 1989 में भाजपा के बांके बिहारी माहेश्वरी अध्यक्ष चुने गए। उनके चुनाव तक चेयरमैन सभासद ही चुनते थे।
6. सन 1995 में भाजपा के वीरेंद्र अग्रवाल पहले ऐसे चेयरमैन बने, जो जनता से सीधे चुने गए।
7. सन 2000 में रवींद्र पांडेय पालिका अध्यक्ष बने।
8. सन् 2006 के चुनाव में लंबे समय के बाद कांग्रेसी बोर्ड अस्तित्व में आया और श्याम सुंदर उपाध्याय बिट्टू ने जीत हासिल की।
9. साल 2012 के चुनाव में भाजपा ने मनीषा गुप्ता को लड़ाया और वह बड़ी जीत दर्ज करते हुए चेयरमैन बनीं।
10. 2017 में मथुरा और वृंदावन पालिका समेत 51 गांवों को मिलाकर नगर निगम बना दिया गया, जिसमें पहले महापौर डॉ मुकेश आर्यबंधु बने।