Monday, April 14, 2025

विपक्ष को मिले लोकसभा उपाध्यक्ष का पद- कांग्रेस

नयी दिल्ली। संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में रविवार को कांग्रेस ने लोकसभा उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने की मांग करते हुए कहा है कि बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की समस्या तथा नीट पेपर लीक जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए।

 

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस नेता तथा लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई ने लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने का मुद्दा उठाया और कहा कि बैसाखियों पर चल रही सरकार में विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण है इसलिए उपाध्यक्ष पद विपक्षी दलों को दिया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार पर सत्ता का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया और कहा कि वह केंद्रीय एजेंसी का मनमानी तरीके से इस्तेमाल कर रही है।

 

पार्टी के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने बैठक के बाद संसद भवन परिसर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि परंपरागत तौर पर सर्वदलीय बैठक इसलिए होती है ताकि सदन की कार्यवाही अच्छी चले और विपक्षी दलों को सदन में जनता से जुड़े मुद्दे उठाने का पूरा मौका मिले।

 

उन्होंने कहा,“हम सदन में महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के मुद्दे, मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट में हुई धांधली जैसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं। इसके अलावा देश की सुरक्षा और चीन की तरफ से जारी घुसपैठ और सीमा पर बढ़ती सुरक्षा की चुनौती, संसद भवन परिसर में स्थापित महापुरुषों की मूर्तियों को हटाने, किसान, मजदूर, मणिपुर, एनईईटी पर हम चर्चा करने का पूरा प्रयास करेंगे।”

 

कांग्रेस नेता ने कहा,“सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार संविधान, इसके मूल्यों और परंपरा की हत्या कर रही है। सरकार संविधान विरोधी है और इसीलिए उसने बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति हटाई है क्योंकि वह संविधान निर्माता थे। संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है, बेरोजगारी और महंगाई सरकार की नीतियों के कारण लगातार बढ़ रही है। जम्मू-कश्मीर, मणिपुर में जारी हिंसा जैसे कई मुद्दे हैं जो लोगों से जुड़े हैं और हम ये सब मुद्दे उठाएंगे।”

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इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया है कि सर्वदलीय बैठक में जनता दल-यूनाइटेड ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा उठाया है। इसी तरह से एक रणनीति के तहत सरकार के घटक तेलुगू देशम पार्टी ने नहीं बल्कि वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का मामला उठाया है।

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