नई दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर पूरे देश में पूजा स्थल कानून लागू करने की मांग की है। ओवैसी की तरफ से इस पीआईएल को अधिवक्ता फुजैल अहमद अय्यूबी ने दाखिल किया था। सुप्रीम कोर्ट इस पर 17 फरवरी को सुनवाई करेगा। इस पर हिंदू संतों ने प्रतिक्रिया दी। आचार्य प्रमोद ने ओवैसी को भारत के विभाजन की चाहत रखने वाला आधुनिक जिन्ना बताया। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि इतिहास गवाह है कि भारत में कई बार मंदिरों को तोड़ा गया है। बाबर, चंगेज खान, तैमूर लंग, और औरंगजेब जैसे शासकों ने मंदिरों को तोड़ा।
ये हमले केवल मस्जिद बनाने के लिए नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी किए गए थे। विशेष रूप से अयोध्या, मथुरा, और संभल जैसे स्थानों पर मंदिरों को तोड़ा गया, क्योंकि इन जगहों से संबंधित धार्मिक मान्यताएं थीं, जैसे कि भगवान राम का अवतार अयोध्या में हुआ और कल्कि अवतार संभल में होगा। यह बात इतिहास के पन्नों में लिखी हुई है, जैसे आईने अकबरी और बाबरनामा में, और यह जानकारी आज भी प्रमाणिक दस्तावेजों में मौजूद है। उन्होंने कहा कि पुराणों के अनुसार, भगवान का अंतिम अवतार कल्कि के रूप में होगा, जो गंगा और मध्य गंगा के क्षेत्र में प्रकट होंगे। संभल की धरती, जिसे पुराणों में विशेष स्थान प्राप्त है, कल्कि अवतार का स्थल मानी जाती है। यहां पर एक विशेष प्रकार की परिक्रमा है, जो इस क्षेत्र की पवित्रता को दर्शाती है।
गुरु गोविंद सिंह जी ने भी इस क्षेत्र के महत्व का उल्लेख किया है, और जहां भगवान का अवतार होगा, वहां कल्कि धाम का निर्माण हो रहा है। अब जो भी फैसले लिए जाएंगे, वह अदालत द्वारा तय होंगे, क्योंकि भारत एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश है, जहां न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र है। हमें न्यायपालिका के फैसले का सम्मान करना चाहिए और उसमें विश्वास रखना चाहिए। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “संभल में पुलिस चौकी का निर्माण भी पौराणिक संदर्भ से जुड़ा है, क्योंकि यहां का नाम सत्यव्रत नगर रखा गया है। इस संभल में जहां भगवान कल्कि अवतार लेंगे, उसे सतयुग में सत्यव्रत के नाम से जाना जाएगा, यह पुराण में लिखा है। इसके अलावा यह क्षेत्र त्रेता, द्वापर और सतयुग में विभिन्न नामों से जाना जाएगा। इस ऐतिहासिक संदर्भ को ध्यान में रखते हुए, इस क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों का महत्व बढ़ जाता है। इसलिए पुलिस चौकी का जो नाम रखा गया है, उसका ऐतिहासिक महत्व है।
” उन्होंने कहा, “जहां तक असदुद्दीन ओवैसी का सवाल है, उनका दृष्टिकोण कभी-कभी विभाजनकारी दिखाई देता है, और कुछ लोग इसे जिन्ना की तरह मानते हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व से देश को एकजुट रखने में मदद मिल रही है, जैसे कि अजमेर शरीफ की दरगाह में चादर भेजने का कार्य, जो दूसरे धर्मों के प्रति सम्मान और सद्भाव को दर्शाता है।” स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा, “मैं यह बताना चाहता हूं कि संभल के मामले में 45 पृष्ठों की जो रिपोर्ट यूपी कोर्ट में दी गई थी, उसे किसने सौंपा? यह रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा पेश की गई थी। यह लोग क्यों आए? क्योंकि सभी भक्तों ने कोर्ट से दिशा-निर्देश मांगते हुए याचिका दायर की थी। हमारे पूर्वजों ने संस्कृति को संरक्षित किया और हमें प्रामाणिक जानकारी दी। हमारे पुराणों में भी यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि इस गांव का नाम ‘संभल क्षेत्र’ है। संभल गांव में भगवान विष्णु का दशम अवतार कल्कि का अवतार होगा। यह हम जानते हैं और श्रीमद्भागवतम में भी यह उल्लिखित है।
हम भगवान श्रीराम, कृष्ण और कल्कि की पूजा करते हैं। फिर शोध करने पर हमने जाना कि वर्षों पहले मुसलमानों ने भारत में आकर इस स्थान की पहचान की और यहां के मंदिरों को नष्ट कर दिया।” उन्होंने कहा, “हम ओवैसी और अन्य धार्मिक नेताओं से अपील करते हैं कि वे इस मामले में अनावश्यक बयानबाजी से बचें, क्योंकि हमारे पास ऐतिहासिक दस्तावेज, पुरातात्विक रिपोर्ट और कोर्ट की रिपोर्ट हैं। हम सरकार और अदालत से अनुरोध करते हैं कि जल्दी से जल्दी इस मुद्दे का समाधान किया जाए ताकि हम संभल में मंदिरों का नवीनीकरण कर सकें और यहां के सांस्कृतिक महत्व को पुनः स्थापित कर सकें।”