Monday, May 5, 2025

पाकिस्तान के आतंकी सरगनाओं ने पहले ही स्वीकार कर ली हार : प्रदीप भंडारी

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में गत 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने रविवार को दावा किया कि पाकिस्तान में आतंकवाद के मास्टरमाइंड पहले ही हार मान चुके हैं। आईएएनएस से बात करते हुए भंडारी ने कहा, “पाकिस्तान में आतंकवाद के मास्टरमाइंड पहले ही हार मान चुके हैं। भारत ने अभी तक कोई ठोस कार्रवाई भी नहीं की है और पाकिस्तान में पहले से ही डर का माहौल है।” हाल ही में मीडिया में आई खबरों पर प्रकाश डालते हुए प्रदीप भंडारी ने कहा, “यहां तक कि पाकिस्तानी मंत्री भी अब स्वीकार करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को कोई नहीं रोक सकता। यही कारण है कि उनमें से कुछ ने पहले ही इंग्लैंड के लिए टिकट बुक कर लिए हैं।

सिर्फ एक मंत्री नहीं, बल्कि कई मंत्री। रिपोर्ट्स में तो यहां तक कहा गया है कि असीम मुनीर ने भारत की प्रतिक्रिया के डर से अपने परिवार को सुरक्षा के लिए दूर भेज दिया है।” साल 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट हवाई हमले का जिक्र करते हुए भंडारी ने चेतावनी दी कि इस बार भी उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। वैश्विक समुदाय भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी के मजबूत और निर्णायक नेतृत्व में भारत किसी भी आतंकवादी कार्रवाई का जवाब देने के लिए तैयार है। कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए भाजपा प्रवक्ता ने उस पर “पाकिस्तान की बी-टीम की तरह” काम करने का आरोप लगाया और कहा, “मैं कांग्रेस से कहना चाहता हूं कि वह राजनीति छोड़ दे और देशभक्ति अपना ले। पाकिस्तान को भी अब अपनी सेना पर भरोसा नहीं रहा।

आतंकवाद के मास्टरमाइंड को कड़ी सजा दी जाएगी।” इससे पहले रविवार को एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी से 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। सूत्रों ने पुष्टि की कि यह मुलाकात करीब 45 मिनट तक चली और इसमें पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले के बाद देश की सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की गई, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। यह बैठक 24 घंटे में दूसरी उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता है, इससे पहले शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी से मुलाकात की थी। सूत्रों ने संकेत दिया कि चर्चा में वायु रक्षा की तैयारी और किसी भी आवश्यक जवाबी कार्रवाई के लिए सशस्त्र सेवाओं के बीच समन्वय भी शामिल था। भारतीय सेना हाई अलर्ट पर है और जम्मू-कश्मीर में संवेदनशील सीमा क्षेत्रों में कड़ी निगरानी बनाए हुए है।

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